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गुजरात में भाजपा की ही सरकार बनेगी : रामटहल चौधरी

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रामटहल चौधरी से बातचीत करते पंकज कुमार

झारखण्ड की राजधानी रांची से लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सासंद रामटहल चौधरी की छवि सहजता के साथ आम जनों को मिल सकने वाले सर्व सुलभ जनप्रतिनीधि के रूप में रही है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के विकास में इनकी बडी महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।  जन समाचार के रांची संवाददाता पंकज कुमार ने हाल ही में उनसे मुलाकात की।

उनसे पूछे गए सवालों में से कुछ जवाब इसप्रकार हैं :

गुजरात चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीतती है तब तो 2019 की डगर आसान होगी परंतु  हारती है तो इसके क्या दुष्परिणाम होंगें ?

गुजरात हम जीतेंगें। हारने का तो सवाल ही नहीं है, हाॅ सीटेें थोंडी उपर नीचें हो सकती हैं। हम आश्वस्त हैं , सरकार भारतीय जनता पार्टी  की  ही बनेगी।

जी.एस.टी पर विपक्ष का कहना है कि इससे छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, जनता भी यह समझ नहीं पा रही है कि जी.एस. टी से हमें नुकसान हो रहा है या फायदा?

देखिए ..जी. एस. टी से थोंडी उलझन की स्थिति तो पैदा हुई है, आपकी इस बात से तो मैं सहमत हॅूं। लोग पूरी तरह से अभी इसे समझ नहीं पायें हैं इससे लोगों में असमंजस की स्थिति तों है यह बात भी सही है, इसी स्थिति को देखतें हुए हमारे प्रधानमंत्री जी ने इसमें कुछ परिवर्तन भी किये हैं। आपने देखा होगा जरूरत की कई बस्तुओं पर टैक्स के स्लैब को घटाया भी गया है जिसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा। सरकार इसे बहुत बारीकी से मोनिटर कर रही है। हमलोगों से भी पूछा गया था, अपने अपने क्षेत्रों से फीडबैक रिर्पोट लेकर हमलोगेां ने भी कहा कि इसमें जो विसंगतियाॅं हैं उसे खत्म करके इसे सुगम एवं सरल बनाया जाना चाहिए ताकि आम जनता स्वयं को लाभान्वित महसूस कर सकें।

बस्तुओं को खरीदने खुदरा दुकानदार के पास जातें हैं तों वे जी.एस.टी का बहाना लेकर कहतें हैं कि हम क्या करें, सामान महंगा हो गया है, इसे सरकार क्यों नहीं रोक पा रही है?

इस तरह की शिकायतें हमें भी मिलती रहती है।  बहुत से दुकानदार इसका गलत फायदा भी उठा रहें हैं। ये निश्चित रूप से सरकार की ही जिम्मेदारी है कि लोगों को संबंधित विभाग की ओर से जागरूक किया जाय जिससे लोग यह अच्छी तरह से जान सकें कि किन किन बस्तुओं पर कितना टैक्स है। कार्रवाई हो भी रही है, लोगों को इसका परिणाम आने वाले दिनों में दिखेगा, थोडा इंतजार कीजिए।

एक नक्सली राज्य होने का ठप्पा झारखण्ड से कब तक हटेगा ?

यह बात तो सही है कि राज्य पर एक नक्सली राज्य होने का ठप्पा लगा था।  खासकर  राज्य से बाहर लोग इसी तरह की चर्चा किया करते थे , परंतु सच्चाई यह भी है कि पहले के मुकाबले 60 से 70 परसेंट घटा है। इस बीच बहुत से नक्सली मारे गये, बहुत से पकड़े गए, बहुतो ने यह सोंचकर भी सरेन्डर किया कि अब नक्सलियों के लिए अच्छें दिन नहीं आने वालें।  उनके लिए मात्र यही एक रास्ता है कि आम जन जीवन से जुडकर अपनी जिंदगी को देश और समाज के हित में लगाऐं और इसके लिए सरेन्डर करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं हैं। इससे काफी फर्क पडा है, तो मैं कहना चाहता हॅू कि अब पहले जैसी स्थिति नहीं रही , हमलोंग जो यहाॅं रह रहें हैं, देख रहें हैं जो लोग बाहर रहतें हैं उनके मन में तो वही पुरानी बात चलती रहती है, आप मीडिया वालों की भी यह जिम्मेवारी बनती है कि राज्य की इस सच्चाई को राज्य और राज्य से बाहर तक बताई जाय ताकि लोगों के मन में जो डर बैठा है उसे खत्म किया जा सकें। लोगों को झारखण्ड घूमने के लिए आमंत्रित करने की जरूरत है अपने झारखण्ड की खूबसूरती को दिखाने व बताने की जरूरत है।