नई दिल्ली, 26 नवंबर | भाजपा ने शुक्रवार को विपक्षी दलों के उन आरोपों से इंकार किया, जिसमें कहा गया है कि भाजपा ने नोटबंदी से पहले देश भर में ढेर सारे जमीन के सौदे किए, और उसमें काले धन का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि सिर्फ पार्टी कार्यालय खोलने के लिए जमीन खरीदी गई है।
भाजपा ने इसे सामान्य गतिविधि करार दिया और कहा कि इसके लिए लंबे समय से धन जुटाया जा रहा था।
पार्टी प्रवक्ता और केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने एक बयान में कहा, “यह आरोप लगाना बेतुका है कि पार्टी ने नोटबंदी को ध्यान में रखकर संपत्तियां खरीदनी शुरू कर दी थी।”
बिहार में सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड), और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भाजपा ने नोटबंदी से पहले अपने सारे काले धन का इस्तेमाल जमीन खरीदने में कर लिया। इन दलों ने इन भूमि सौदों की जांच की मांग की है।
प्रसाद ने कहा कि पांच जुलाई, 2015 को बेंगलुरू में आयोजित महा संपर्क अभियान में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने देश भर में पार्टी कार्यालय खोले जाने की आवश्यकता पर जोर दिया था, क्योंकि हमारी सदस्यता पहले ही 10 करोड़ पार कर गई है।
उन्होंने कहा, “हमने पार्टी कार्यालय बनाने का काम शुरू किया है। बगैर अच्छे कार्यालय के पार्टी के काम का किसी जिले में विस्तार नहीं हो सकता। इसलिए हमने तय किया है कि दिसंबर 2016 तक देश के प्रत्येक सांगठनिक जिले में एक नए पार्टी कार्यालय का निर्माण कर लेंगे।”
प्रसाद ने कहा, “अपने विस्तार कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पार्टी अध्यक्ष ने इसके लिए धन जुटाने और पार्टी कार्यालय स्थापित करने का भी अनुरोध किया था। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से उदारता के साथ चंदा देने का आग्रह भी किया था। पार्टी और पार्टी कार्यकर्ता इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पिछले 16 महीनों से अथक प्रयास कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि यह कहना निर्थक है कि पार्टी द्वारा जमीनी स्तर पर अपने विस्तार के लिए अपने नियमित और निर्धारित एजेंडे के हिस्से के रूप में किए गए कार्य का नौ नवंबर से प्रभाव में आए नोटबंदी अभियान से कोई लेना-देना है।
बिहार में एक स्थानीय समाचार चैनल ने गुरुवार को एक रपट प्रसारित की थी कि भाजपा ने आठ नवंबर को घोषित 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाने के निर्णय से पहले बिहार के 25 जिलों में जमीन खरीदी थी।
रपट के अनुसार, भाजपा ने जिन जिलों में जमीन खरीदी है, उनमें सहरसा, पटना, मधुबनी, कटिहार, मधेपुरा, लखीसराय, किशनगंज और अरवल शामिल हैं।
खरीदे गए इन भूखंडों का रकबा 250 वर्ग फुट से लेकर लगभग आधा एकड़ तक है। इनकी कीमत आठ लाख रुपये से लेकर 1.16 करोड़ रुपये के बीच है। सबसे महंगा भूखंड 1,100 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से खरीदा गया है।
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