बेनौलिम(गोवा), 16 अक्टूबर | ब्रिक्स नेताओं ने रविवार को भारत में हुए आतंकवादी हमले सहित हर तरह के आतंकवाद की एकसुर से निंदा की। प्रधानमंत्री ने इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए व्यापक कार्रवाई का आह्वान किया। आठवें ब्रिक्स सम्मेलन के समापन पर स्वीकृत गोवा घोषणा-पत्र के मुताबिक, “हम हाल ही में भारत समेत कुछ ब्रिक्स देशों के खिलाफ हुए कई हमलों की कड़ी निंदा करते हैं।”
घोषणा-पत्र के मुताबिक, “हम हर रूप और अभिव्यक्ति में आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं और जोर देकर कहते हैं कि किसी भी प्रकार के आतंकवादी कृत्य का कोई औचित्य नहीं हो सकता, चाहे वह किसी भी वैचारिक, धार्मिक, राजनीतिक, जातीय या किसी अन्य कारण पर आधारित हो।”
बयान के मुताबिक, “हम द्विपक्षीय स्तर पर और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हैं।”
भारत ने उड़ी हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया है और पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग करने के लिए कूटनीतिक हमले शुरू किए हैं।
मोदी ने गोवा घोषणा-पत्र से पूर्व ब्रिक्स नेताओं की पूर्ण बैठक में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए व्यापक कार्रवाई की मांग की।
मोदी ने सम्मेलन के समापन के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, “हमने एकमत से स्वीकार किया कि आतंकवाद, चरमपंथ और कट्टरपंथ केवल क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, स्थिरता और आर्थिक संपन्नता के लिए ही खतरा नहीं हैं, बल्कि हमारे समाज, हमारी जिंदगी के तरीके और पूरी मानवता के लिए भी खतरा हैं।”
मोदी ने कहा, “हम इस बात पर भी एकमत हैं कि ब्रिक्स को इस खतरे से लड़ने के लिए एकजुट होकर काम करने और निर्णायक कार्रवाई करने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “हम इस बात से भी सहमत हैं कि जो हिंसा और आतंक जैसी ताकतों को पालते-पोसते, पनाह देते, समर्थन करते या प्रायोजित करते हैं, वे भी हमारे लिए उतना ही बड़ा खतरा हैं, जितना कि खुद आतंकवादी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद की पहुंच दुनियाभर में हो गई है और यह ‘बेहद घातक और प्रौद्योगिकी के उपयोग में माहिर हो गया है।’
उन्होंने कहा, “इसलिए आतंकवाद के खिलाफ हमारी प्रतिक्रिया बेहद व्यापक होनी जरूरी है। हमें व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों तरीकों से कार्रवाई करनी चाहिए।”
इससे पहले ब्रिक्स नेताओं के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा कि आतंकवाद की जन्मभूमि (मदरशिप ऑफ टेररिज्म) भारत के पड़ोस में है और यह दुनियाभर के आतंकी मॉड्यूल्स से जुड़ी हुई है।
मोदी ने यह भी कहा कि पड़ोसी देश आतंकवादियों को केवल पनाह ही नहीं देता, बल्कि ‘ऐसी मानसिकता को भी पालता-पोसता है, जो राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद का समर्थन करती है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर-ब्रिक्स सम्मेलन का प्रभाव विस्तृत होकर आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्र तक बढ़ गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “सुरक्षा के लिए नई चुनौतियों और जारी आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच ब्रिक्स शांति, क्षमता और वादे के प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ा है।”
मोदी ने ब्रिक्स देशों के भीतर एक संस्था के निर्माण पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, “हम ब्रिक्स क्रेडिट रेटिंग के विचार को हकीकत में बदलने का इंतजार कर रहे हैं।”
मोदी ने कहा, “हमें ब्रिक्स कृषि शोध केंद्र, ब्रिक्स रेलवे शोध नेटवर्क और ब्रिक्स खेल परिषद के गठन के काम को गति देनी चाहिए।”
इस मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स देशों के बीच साझेदारी बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि “ये पांचों देश अच्छे मित्र, भाई और साझेदार हैं, जो एक-दूसरे के साथ ईमानदारी से पेश आते हैं।”
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा कि दुनिया के सामने नई परस्पर चुनौतियां हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए हमारे ठोस प्रयास की जरूरत है।
ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल तेमेर ने जुमा के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि ब्रिक्स देशों की एक जैसी समस्याएं हैं और इन्हें दूर करने के लिए पांचों देशों को साथ आने की जरूरत है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच औद्योगिक सहयोग को अधिक प्रभावशाली बनाने की जरूरत है।
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