नई दिल्ली, 16 जून (जनसमा)। बिल्डरों द्वारा जीएसटी का डर बताकर 1 जुलाई से पहले पूरा भुगतान मांगना मुनाफाखोरी हैं ।जो बिल्डर्स फ्लैटों की बुकिंग एवं आंशिक भुगतान कर चुके लोगों से एक जुलाई से पहले पूरा भुगतान करने के लिए दबाव बना रहे हैं वह जीएसटी कानून की धारा 171 के तहत मुनाफाखोरी है।
सरकार का यह भी कहना है कि जीएसटी के तहत परिसर, भवन, फ्लैट इत्यादि पर कम टैक्स लगेगा ।
केन्द्र सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया है कि जीएसटी के तहत समस्त इनपुट क्रेडिट से 12 प्रतिशत की मुख्य दर की भरपाई की जा सकेगी। इसके परिणामस्वरूप फ्लैट में सन्निहित इनपुट टैक्स को फ्लैट की कुल लागत का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा।
सरकार ने कहा है कि इस बारे में कानूनन स्थिति स्पष्ट करने बावजूद यदि कोई बिल्डर इस तरह की मनमानी करता है तो वैसे में यह भी माना जा सकता है कि वह जीएसटी कानून की धारा 171 के तहत मुनाफाखोरी कर रहा है।
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) और राज्यों को इस आशय की अनेक शिकायतें मिली हैं कि निर्माणाधीन फ्लैटों, परिसर इत्यादि के संदर्भ में जीएसटी के तहत कार्य अनुबंध सर्विस टैक्स 12 फीसदी की दर से लगने के मद्देनजर फ्लैटों की बुकिंग एवं आंशिक भुगतान कर चुके लोगों से यह कहा जा रहा है कि वे या तो 01 जुलाई, 2017 से पहले ही पूरा भुगतान कर दें अथवा 01 जुलाई, 2017 के बाद किए जाने वाले भुगतान पर ज्यादा टैक्स अदा करने के लिए तैयार रहें। यह जीएसटी कानून के विपरीत है। इस मसले को नीचे स्पष्ट किया गया है :
फ्लैटों, परिसर, भवनों के निर्माण पर कम जीएसटी लगेगा, जबकि मौजूदा व्यवस्था के तहत केंद्र एवं राज्यों के अनेक अप्रत्यक्ष कर इन पर लगाए जाते हैं।
जीएसटी के तहत समस्त इनपुट क्रेडिट से 12 प्रतिशत की मुख्य दर की भरपाई की जा सकेगी। इसके परिणामस्वरूप फ्लैट में सन्निहित इनपुट टैक्स को फ्लैट की कुल लागत का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा।
इस बारे में कानूनन स्थिति स्पष्ट करने बावजूद यदि कोई बिल्डर इस तरह की मनमानी करता है तो वैसे में यह भी माना जा सकता है कि वह जीएसटी कानून की धारा 171 के तहत मुनाफाखोरी कर रहा है।
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