परंपरागत ऊंट-घोड़ी नृत्य, जैविक किसान सम्मेलन, हेरीटेज वाॅक और हास्यकवि सम्मेलन इसबार 23 वें शेखावाटी महोत्सव के मुख्य आकर्षण रहे। राजस्थान के नवलगढ़ में 23 वें शेखावाटी महोत्सव का (16 फरवरी से 18 फरवरी) रविवार को समापन होगया। शरद ऋतु के अंत का प्रतीक यह महोत्सव संस्कृति और विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और उद्योगपति कमल मोरारका के मार्गदशन में यह महोत्सव एमआर मोरारका-जीडीसी रूरल रिसर्च फाउंडेशन ने राजस्थान कला, संस्कृति और पर्यटन विभाग तथा जिला प्रशासन झुंझुनू के सहयोग से आयोजित किया था।
16 फरवरी को झुंझुनू के जिलाधीश दिनेश कुमार यादव ने महोत्सव का शुभारंभ करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि इससे शेखावाटी के कलाकारों को नया मंच मिलेगा।
महोत्सव के दौरान आयोजित किसान संगोष्ठी में मोरारका फाउण्डेशन के चेयरमैन कमल एम मोरारका ने कहा कि देशभर में जैविक खेती करने वाले किसानों को किसी भी प्रकार की तकनीकी जानकारी चाहिए तो वे फाउण्डेशन से संपर्क कर सकते हैं।
उन्होंने नवलगढ़ नगरपालिका भवन की ई-लायब्रेरी में किसान संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मोरारका फाउण्डेशन जैविक खेती करने वाले किसानों को सहयोग देने के लिए हमेशा तैयार है।
सगोष्ठी में फाउण्डेशन के निदेशक मुकेश गुप्ता ने कहा कि किसानों को आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के लिए तैयार होना होगा तभी वे न केवल सक्षम बनेंगे बल्कि आर्थिक तरक्की भी कर सकेंगे।
सगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से आए किसान भाग ले रहे थे।
महोत्सव के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मोरारका फाउण्डेशन के निदेशक राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि इस आयोजन से देश-विदेश में नवलगढ़ की ख्याति बढ़ी है औा हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक नवलगढ़ आरहे हैं।
उन्होंने बताया कि पर्यटकों के कारण्र स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति में न केवल सुधार हुआ है बल्कि हवेलियां भी सजधज रही हैं और पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन रही हैं।
यह महोत्सव मरुस्थल की लोक कलाओं का संगम भी कहा जासकता है जिसमें स्थानीय लोग बढ़चढ़कर भाग लेते हैं ।
महोत्सव के दौरान स्थानीय लोगों, देशी और विदेशी पर्यटकों ने लोक संगीत, लोक नृत्य, ऊंट और घोड़ी नृत्य, ग्रामीण खेल,
बंधेज या टाई एण्ड डाई प्रतियोगिता , प्रतिभा खोज, मटका रेस, मेंहदी प्रतियोगिता और आतिशबाजी आदि का भरपूर आनंद लिया।
तीन दिनों में आमंत्रित अतिथियों ने मुकुंदगढ़ किले के नजदीक सारा विलास और कमल मोरारका फार्म पर जैविक भोज के साथ-साथ संगीत का भी आनन्द लिया। यह भोजन मोरारका फाउंडेशन के खेतों में विकसित जैविक उत्पादों से तैयार किया गया था। इसके अलावा सूर्य मण्डल स्टेडियम में जैविक भोज में स्थानीय और विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए।
यह महोत्सव पर्यटकों, लोक कला और शिल्प प्रेमियों के लिए यादगार अनुभव कहा जासकता है।
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