राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मांग की है कि अन्तर्राज्यीय जल समझौतों को पूर्ण रूप से लागू कराने के लिए केन्द्र सरकार हस्तक्षेप करे।
उन्होने केन्द्र से आग्रह किया कि हरियाणा एवं उत्तरप्रदेश राज्यों को अपने क्षेत्र में राजस्थान के हिस्से के जल का अवैध दोहन रोकने एवं राज्य के हिस्से का पानी दिलाने का निर्देश प्रदान करावें ।
गहलोत ने शुक्रवार 11 जनवरी को नई दिल्ली में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनर्रुद्धार मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में रेणुकाजी बांध बहुउददेश्यीय परियोजना के लिए छः राज्यों के मध्य हुए अनुबंध पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित समारोह में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि ताजेवाला हेड से राजस्थान को आवंटित यमुना जल के सम्बंध में हरियाणा सरकार द्वारा अब तक सहमति नही दिये जाने के कारण राजस्थान पिछले 24 वर्षो से अपने विधि संगत अधिकारों से वंचित हो रहा है।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश के चुरू, झुन्झुनु एवं सीकर जिले की जनता सिचाई सुविधा एवं पेयजल से वंचित हो रही है।
गहलोत ने यह भी कहा कि इसी प्रकार ओखला हेड से भी राज्य के भरतपुर जिले को अपने हिस्से का पूरा पानी नही मिल पा रहा है।
उन्होने बताया ताजेवाला हैड पर आवंटित जल को राजस्थान ले जाने के लिये वर्ष 1994 में पांच राज्यों के मध्य हुए एमओयू के अर्न्तगत वर्ष 2003 से हरियाणा सरकार से एमओयू पर हस्ताक्षर कराने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे है जिससे परियोजना की लागत में अत्यधिक वृद्धि हुई हैं ।
गहलोत ने कहा कि हरियाणा सरकार को एमओयू पर शीघ्र सहमत कराये जाने हेतु निर्देश प्रदान किये जाये जिससे राजस्थान को उसके हिस्से का जल प्राप्त हो सके।
मुख्यमंत्री ने बताया कि ओखला हेड से भी राज्य के भरतपुर जिले को अपने हिस्से का पूरा पानी नही मिल रहा है। गत 17 वर्षो के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान को उपलब्ध पानी का लगभग 40 प्रतिशत पानी ही प्राप्त हुआ हैं। जिसका मुख्य कारण सही मात्रा मे पानी नहीं छोडा जाना एवं पानी का अवैध दोहन किया जाना है ।
गहलोत ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री को बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के माध्यम से राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल एवं 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी परियोजना के संबध में मध्य प्रदेश के आक्षेप सही नही है।
ये जिले हैं झालावाड, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर एवं धौलपुर।
परियोजना की रिर्पोट राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के मध्य वर्ष 1999 एवं 2005 मे हुए समझैते के अनुसार बनाई गयी है। अतः मध्यप्रदेश के आक्षेपों को खारिज कर पूर्वी राजस्थान की नहर परियोजना की डीपीआर का केन्द्रीय जल आयोग से शीघ्र अनुमोदन करायें।
इंसेंटिवाइजेसन स्कीम फॉर ब्रिजिंग इरीगेशन गेप (आई.एस.बी.आई.जी.) योजना की चर्चा करते हुए गहलोत ने बताया कि राजस्थान में भारत सरकार के सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय सहायता से चल रही सात परियोजनाओ को अप्रैल 2017 से बन्द कर दिया गया है।
इसके स्थान पर इंसेंटिवाइजेसन स्कीम फॉर ब्रिजिंग इरीगेशन गेप योजना प्रस्तावित की गई है परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा योजना के क्रियान्वयन हेतु अभी दिशा निर्देश प्राप्त नही हुए है जिसकी वजह किसानों को सिंचाई का वांछित लाभ नही मिल रहा है।
गहलोत ने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत पूर्व में संचालित सात परियोजनाओं मे शेष बचे 6 लाख 83 हजार 656 हेक्टेयेर कमांड क्षेत्र तथा राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित आठ नवीन योजनाओं के 3 लाख 5 हजार 862 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र के लिये कुल 6193 करोड रूपये केन्द्र सरकार की मंजूरी के लिये लंबित हैै।
उन्होने कहा कि राज्य के 9 लाख 89 हजार 518 कमांड क्षेत्र को लाभान्वित करने वाली इन परियोजनाओ केा शीघ्र मंजूरी प्रदान कर केन्द्रीय सहायता जारी की जाए जिससे किसानों को वांछित लाभ मिल सके।
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