Unauthorized Colonies

केन्द्र ने दिया दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों के निवासियों को मालिकाना अधिकार

केन्द्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet ) ने दिल्ली के अनधिकृत कालोनियों (Unauthorized Colonies) के निवासियों को मालिकाना अधिकार अथवा उसे गिरवी रखने/हस्तांकतरण का अधिकार प्रदान करने/मान्यता देने के नियमनों को 23 अक्टूबर, 2019 को  अपनी मंजूरी दे दी है।

मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए संसद के अगले सत्र में विधेयक पेश करने की भी मंजूरी दे दी है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अवैध कालोनियों (Unauthorized Colonies) को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी पर खुशी जताई।

उन्होंने कहा कि 2015 में सरकार बनने के बाद ही तत्काल दिल्ली सरकार ने अवैध कालोनियों (Unauthorized Colonies) को नियमित करने के लिए प्रयास प्रारंभ कर दिए थें।

केजरीवाल ने  कहा कि  दिल्ली सरकार ने 12 सुझाव के साथ केंद्र सरकार को मसौदा भेज दिया था। उसके बाद ही आज केंद्रीय कैबिनेट ने उसे मंजूरी दी है। उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया।

दिल्ली में अनधिकृत (Unauthorized Colonies) कालोनियों के निवासियों के लाभ और प्रमुख प्रभावः

  • इस निर्णय से लगभग 175 वर्ग किलोमीटर में फैली अनधिकृत कालोनियों के 40 लाख से अधिक निवासियों को लाभ होगा, क्योंकि इन कालोनियों में विकास/पुनर्विकास किया जा सकेगा, जिससे स्वच्छ, सुरक्षित और स्वस्‍थ रहन-सहन के लिए वातावरण उपलब्ध होगा।
  • अनधिकृत कालोनियों (Unauthorized Colonies) के निवासियों को मालिकाना/हस्‍तांतरण अधिकार, बुनियादी अवसंरचना और नागरिक सुविधाओं के अभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये प्रमुख मुद्दे इस ऐतिहासिक कदम से हल हो जाएंगे।
  • मालिकाना दस्तावेजों को मान्यता दिए जाने के कदम से इन कालोनियों में संपत्ति के स्वामियों को संपत्ति के वैधानिक लेनदेन की सुविधा होगी। संपत्ति पर वैधानिक हक प्रदान करने के अलावा इस निर्णय से संपत्तिधारकों को सुरक्षित अवसंरचना में निवेश करने का प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके कारण इन कालोनियों में रहन-सहन की स्थिति में सुधार आएगा।
  • यह निर्णय 1,797 चिह्नित अनधिकृत कालोनियों (Unauthorized Colonies) पर लागू होगा, जहां निम्न आय वर्ग के लोग रहते हैं। यह निर्णय डीडीए द्वारा चिह्नित 69 समृद्ध कालोनियों पर लागू नहीं होगा, जिनमें सैनिक फार्म, महेन्द्रू एंक्लेव और अनन्त राम डेयरी शामिल हैं।
  • मालिकाना हक कार्पेट एरिया/भूखंड के आकार के आधार पर मामूली शुल्क के भुगतान पर दिया जाएगा। अनधिकृत कालोनियों के आसपास के रिहायशी इलाके की उच्चतम वर्ग की कालोनियों के सर्किल रेट के मद्देनजर सरकारी जमीन पर बनी कालोनियों के संबंध में शुल्क 0.5 प्रतिशत (100 वर्गमीटर से कम), एक प्रतिशत (100-250 वर्गमीटर के लिए) और 2.5 प्रतिशत (250 वर्गमीटर से अधिक) होगा।
  • निजी जमीन पर बनी कालोनियों पर शुल्क सरकारी भूमि पर लागू होने वाले शुल्क के आधे के बराबर होगा।

विवरण :

  • संसद के आगामी सत्र में, केन्‍द्र सरकार जनरल पॉवर ऑफ एटॉर्नी (जीपीए), वसीयत, बेचने, खरीदने और कब्‍ज़े में लेने संबंधी समझौतों के दस्‍तावेजों को मान्‍यता देने के लिए एक विधेयक लाएगी, जिसमें इसके लिए अनधिकृत कालोनियों (Unauthorized Colonies) के निवासियों को एक बार रियायत दी जाएगी।
  • विधेयक में पिछले लेन-देन पर पंजीकरण शुल्‍क और स्‍टाम्‍प डयूटी की व्‍यवस्‍था होगी और सर्कल रेट शुल्‍कों से कम पर आयकर देनदारी का मुद्दा भी हल होगा।
  • संपत्ति के हस्‍तांतरण विलेख जारी करने और पंजीकरण के लिए डीडीए सरल प्रक्रिया रखेगी।
  • डीडीए अनधिकृत कालोनियों/अनधिकृत कालोनियों के कलस्‍टरों की रूपरेखा प्रस्‍तुत करेगा।
  • डीडीए सभी अनधिकृत कालोनियों के लिए स्‍थानीय क्षेत्र योजना (एलएपी) तैयार करेगा।
  • किसी प्रकार का दंड और बाहरी विकास शुल्‍क (ईडीसी) का प्रावधान नहीं होगा।
  • जिन लोगों के पास कई प्‍लॉट/फ्लैट हैं, उनकी सभी संपत्तियों को मिलाकर क्षेत्र में लागू दर पर शुल्‍क लिया जाएगा।
  • लोगों के पास यह विकल्‍प होगा कि वे एक वर्ष में तीन समान किस्‍तों में शुल्‍क का भुगतान करें। जो भी व्‍यक्ति एक किस्‍त में पूरी राशि का भुगतान कर रहा है, उससे तत्‍काल मालिकाना अधिकार मिल जाएगा। दो किस्‍तों का भुगतान करने पर अल्‍पकालीन अधिकार दे दिए जाएंगे, जिन्‍हें पूर्ण और अंतिम भुगतान के बाद स्‍थायी अधिकारों में बदला जा सकेगा।
  • देर से भुगतान करने पर 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्‍याज को आकर्षित किया जाएगा।
  • रिहायशी उद्देश्‍य के लिए हस्‍तांतरण विलेख निष्‍पादित किया जाएगा, चाहे उसका उपयोग कुछ भी हो।

पृष्‍ठभूमि

  • 2008 के वर्तमान अधिनियम के अनुसार, नियमन की समूची प्रक्रिया का समन्‍वय और निरीक्षण राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली क्षेत्र की सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा व्‍यापक प्रचार के जरिए किया जाएगा। अनधिकृत कालोनियों की सीमा की रूपरेखा निर्धारित करना विनियमों के अनुसार इस प्रक्रिया का शुरूआती बिंदु है। तथापि जीएनसीटीडी विनियमों के जारी होने के 11 वर्ष बाद भी इन कालोनियों की सीमाओं का निर्धारण नहीं कर सकी है और उसने इस कार्य को पूरा करने के लिए 2021 तक और समय मांगा है।
  • इन अनधिकृत कालोनियों (Unauthorized Colonies) में रहने वाले लोगों ने न तो सुरक्षित ढांचों में निवेश किया है और न ही सरकार मंजूर किए गए नक्‍शे (एलओपी) के बिना विकसित इन कालोनियों को देखते हुए कोई सामाजिक बुनियादी ढांचा सृजित कर पाई है। हालांकि मास्‍टर प्‍लान दिल्‍ली-2021 में प्रोत्‍साहन के रूप में 50 प्रतिशत अतिरिक्‍त फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) के साथ कालोनियों को दोबारा विकसित करने की इजाजत दी गई है, अब तक कोई पुनर्वास का कार्य नहीं हुआ है, क्‍योंकि लोगों के पास स्‍वामित्‍व का अधिकार नहीं है।
  • अनधिकृत कालोनियों (Unauthorized Colonies) के निवासियों को संपत्ति का मालिकाना हक देने/मान्‍यता अथवा गिरवी रखने/हस्‍तांतरित करने का अधिकार देने के लिए केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से संपत्ति के मालिकाना अधिकार प्रदान करने/मान्‍यता देने अथवा हस्‍तांतरण/उसे गिरवी रखने की प्रक्रिया की सिफारिश करने और उसके बाद एक सुनियोजित तरीके से ऐसे इलाकों के पुनर्विकास का अवसर सृजित करने के लिए दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल के नेतृत्‍व में एक समिति का गठन किया गया।
  • समिति की सिफारिशों और सभी साझेदारों के साथ विस्‍तृत विचार-विमर्श के आधार पर संशोधित विनियमन अधिसूचित करने और इस संबंध में संसद में एक विधेयक पेश करने के उपरोक्‍त प्रस्‍ताव को अंतिम रूप दिया गया है।