नई दिल्ली, 26 फरवरी | छोटे और मध्यम दुकानों को सप्ताह के सातों दिन खुला रखने के प्रस्ताव पर मिली ठंडी प्रतिक्रिया पर एसोचैम ने चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह राज्यों को मॉडल दुकान और प्रतिष्ठान विधेयक के फायदे बताए तथा इसे लागू करे, ताकि खुदरा कारोबार को बढ़ावा दिया जा सके, जो देश में सबसे अधिक रोजगार पैदा करनेवाला क्षेत्र है। केंद्र सरकार ने इस मॉडल विधेयक का प्रस्ताव एक साल पहले वित्तवर्ष 2016-17 के वित्तमंत्री के बजट भाषण में दिया था और अब तक केवल राजस्थान ने ही इसके परिपेक्ष्य में कानूनी प्रावधान बनाने की तैयारी शुरू की है। राज्य सरकार ने राजस्थान दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम 1958 में संशोधन की तैयारी की है, ताकि दुकानों को सातों दिन खुली रखने की अनुमति प्रदान की जाए।
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “राज्य सरकार को इस मॉडल विधेयक को लागू करना चाहिए। इससे रोजगार पैदा होगा और उपभोक्ताओं के मांग में भी इजाफा होगा। केंद्र सरकार ने बिल्कुल सही कहा है कि अगर बड़े शॉपिंग मॉल सातों दिन खुला रह सकते हैं तो छोटे और मध्यम दुकानों को क्यों नहीं रखना चाहिए?”
कहने की जरूरत नहीं कि दुकानों और छोटे दुकानों में कार्यरत श्रमिकों के हितों की रक्षा की जानी चाहिए और उन्हें अतिरिक्त लाभ के बिना डबल शिफ्ट में काम नहीं करवाना चाहिए। इसके अलावा देर रात काम करने वालों, विशेष रूप से महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
चेंबर ने कहा, “राज्यों और केंद्र को मिलकर काम करना चाहिए तथा हमारे शहरी परि²श्य को अधिक सुरक्षित और जीवंत बनाने के लिए एक पारिस्थितिकी प्रणाली बनाने की जरूरत है। नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता का प्रमुख क्षेत्र होना चाहिए।”
चेंबर का मानना है कि सातों दिन दुकान खुला रहने से पारंपरिक बाजारों के आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही वे तेजी से आधिकारिक क्षेत्र में भी शामिल होंगे। इससे अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा।
चेंबर ने आगे कहा, “बड़ी आबादी वाले शहरों तथा वे शहर जहां घरेलू व विदेशी पर्यटक ज्यादा संख्या में आते हैं। उन्हें इसका सबसे ज्यादा लाभ होगा, क्योंकि बाजार ज्यादा उत्पादक बन जाएंगे।”
–आईएएनएस
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