“जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख (Ladakh) के लिए हाल ही में किए गए बदलावों (से वहां के निवासी बहुत अधिक लाभान्वित (immense benefit) होंगे।”
भारत के राष्ट्रपति (President ) राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) ने 73वें स्वाधीनता दिवस(73rd Independence Day) की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश (address to the nation) में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को यह भरोसा दिलाते हुए कहा कि वे भी अब उन सभी अधिकारों और सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे जो देश के दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को मिलती हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून लागू होने से सभी बच्चों के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
‘सूचना का अधिकार’ मिल जाने से, अब वहां के लोग जनहित से जुड़ी जानकारी प्राप्त करसकेंगेय पारंपरिक रूप से वंचित रहे वर्गों के लोगों को शिक्षा व नौकरी में आरक्षण तथा अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी।
राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) ने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में यह भी कहा कि तीन तलाक’ जैसे अभिशाप के समाप्त हो जाने से वहां की हमारी बेटियों को भी न्याय मिलेगा तथा उन्हें भयमुक्त जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) ने देशवासियों को स्वाधीनता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संसद के हाल ही में संपन्न हुए सत्र में लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों की बैठकें बहुत सफल रही हैं।
राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) ने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों के बीच परस्पर सहयोग के जरिए, कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए हैं। इस सफल शुरुआत से मुझे यह विश्वास हो रहा है कि आने वाले पांच वर्षों के दौरान संसद, इसी तरह से उपलब्धियां हासिलकरती रहेगी।
राष्ट्रपति ने उम्मीद जताते हुए कहा कि मैं चाहूंगा कि राज्यों की विधानसभाएं भी संसद की इस प्रभावी कार्य संस्कृति को अपनाएं।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) के संदेश के कुछ मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं :
- 2 अक्टूबर को, हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे। गांधीजी, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे।
- 2019 का यह साल, गुरु नानक देवजी का 550वां जयंती वर्ष भी है। वे भारत के सबसे महान संतों में से एक हैं।
- जिस महान पीढ़ी के लोगों ने हमें आजादी दिलाई, उनके लिए स्वाधीनता, केवल राजनीतिक सत्ता को हासिल करने तक सीमित नहीं थी। उनका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के जीवन और समाज की व्यवस्था को बेहतर बनाना भी था।
- राष्ट्र-निर्माण के अभियान में हर संस्था और हितधारक को एक-जुट होकर काम करने की आवश्यकता होती है।
- मतदाताओं और जन-प्रतिनिधियों के बीच, नागरिकों और सरकारों के बीच, तथा सिविल सोसायटी और प्रशासन के बीच आदर्श साझेदारी से ही राष्ट्र-निर्माण का हमारा अभियान और मजबूत होगा।
- हमारी संस्थाओं और नीति निर्माताओं को चाहिए कि नागरिकों से जो संकेत उन्हें मिलते हैं, उन पर पूरा ध्यान दें और देशवासियों के विचारों तथा इच्छाओं का सम्मान करें।
- ग्रामीण सड़कों और बेहतर कनेक्टिविटी का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब हमारे किसान भाई-बहन उनका उपयोग करके मंडियों तक पहुँचें और अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें।
- वित्त और राजस्व के क्षेत्र में किए गए सुधारों और व्यापार के नियमों को सरल बनाने का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब हमारे छोटे स्टार्ट-अप या काम-धंधेऔर बड़े उद्योग, नए तरीके से आगे बढ़ें और रोजगार पैदा करें।
- हर घर में शौचालय और पानी उपलब्ध कराने का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब इन सुविधाओं से, हमारी बहन-बेटियों का सशक्तीकरण हो और उनकी गरिमा बढ़े।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर का सदुपयोग करना और उसकी रक्षा करना, हम सभी का कर्तव्य है। यह इन्फ्रास्ट्रक्चर हर भारतवासी का है, हम सब का है क्योंकि यह राष्ट्रीय संपत्ति है।
- राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा भी, स्वाधीनता की रक्षा से जुड़ी हुई है।
- जो कर्तव्यनिष्ठ नागरिक राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करते हैं वे देशप्रेम की उसी भावना और संकल्प का परिचय देते हैं, जिसका प्रदर्शन हमारे सशस्त्र बल, अर्धसैनिक बल और पुलिस बल के बहादुर जवान और सिपाही देश की कानून-व्यवस्था बनाए रखने व सीमाओं की रक्षा में करते हैं।
- कोई गैर-जिम्मेदार व्यक्ति किसी ट्रेन या अन्य सार्वजनिक संपत्ति पर पत्थर फेंकता है या उसे नुकसान पहुंचाने वाला है और यदि आप उसे ऐसा करने से रोकते हैं तो आप देश की मूल्यवान संपत्ति की रक्षा करते हैं।
- हम भाषा, पंथ और क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर उठकर एक दूसरे का सम्मान करते रहे हैं।
- हजारों वर्षों के इतिहास में, भारतीय समाज ने शायद ही कभी दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम किया हो।
- भारत युवाओं का देश है। हमारे समाज का स्वरूप तय करने में युवाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है।
राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) ने कहा कि हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को स्वर देने वाले महान कवि सुब्रह्मण्य भारती ने सौ वर्ष से भी पहले भावी भारत की जो कल्पना की थी वह आज के हमारे प्रयासों में साकार होती दिखाई देती है।
उन्होंने कहा था
मंदरम् कर्पोम्, विनय तंदरम् कर्पोम्,
वानय अलप्पोम्, कडल मीनय अलप्पोम्।
चंदिरअ मण्डलत्तु, इयल कण्डु तेलिवोम्,
संदि, तेरुपेरुक्कुम् सात्तिरम् कर्पोम्॥
अर्थात
हम शास्त्र और कार्य कुशलता दोनों सीखेंगे,
हम आकाश और महासागर की सीमाएं नापेंगे।
हम चंद्रमा की प्रकृति को गहराई से जानेंगे,
हम सर्वत्र स्वच्छता रखने की कला सीखेंगे॥
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