छग : औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती को मिल रहा बढ़ावा

रायपुर, 29 नवम्बर (जस)। धान का कटोरा के रूप में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ उद्यानिकी की खेती के मामले में भी पीछे नहीं है। उद्यानिकी फसलों में प्रदेश के किसान फल-फूलों, साग-सब्जियों, मसाला फसलों और औषधीय एवं सुंगधित पौधों की खेती करते हैं। राज्य शासन के उद्यानिकी विभाग द्वारा उद्यानिकी विकास की नयी योजनाओं का क्रियान्वयन कलस्टर पद्धति के आधार पर किया जा रहा है। इसके लिए विकासखंड स्तर पर 25-25 गांवों के समूहों का चयन कर प्रत्येक गांव में कम से कम बीस एकड़ तथा प्रत्येक कलस्टर में कम से कम 200 एकड़ रकबे में उद्यानिकी फसलों की खेती शुरू की गयी है।

छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी फसलों में विभिन्न प्रकार के फल सभी जिलों पैदा होते हैं। यहां आम, केला, पपीता, अमरूद, नींबू, नारंगी, कटहल, मौसबी, काजू, सीताफल, लीची, तरबूज, खरबूज, बेर, आंवला, चीकू, अनार, अंगूर, नारियल, नाशपत्ती आदि फलों की खेती बहुतायत मात्रा में होती है। प्रदेश का रायगढ़ जिला फलों की खेती में सबसे आगे है।

राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में फूलों की खेती के रकबे और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी है। छत्तीसगढ़ में गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा, गुलदाउदी, ग्लेडियोलस, चमेली और गिलार्डिया के फूल खिलते हैं। छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों में गेंदे की खेती होती है। गुलाब की खेती के लिए बिलासपुर और कोरबा जिला जाना जाता है।  चमेली की खेती मुख्यतः दो जिलों में रायपुर और धमतरी जिले में होती है।

छत्तीसगढ़ में अदरक, धनिया, मिर्च, लहसून, हल्दी, कारयत, मेथी और अंजवानी जैसे मसाला फसलों की खेती की जाती है। अदरक सुकमा जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों में पैदा होता है। धनिया और मिर्च की खेती छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के किसान करते हैं। प्रदेश में औषधीय और सुंगधित फसलों में मुख्य रूप से लेमनग्रास, खस, एलोविरा, सफेद मुसली, बुच, सर्पगंधा, ई-सिट्रीडोरा, अश्वगंधा, सुंगधरा, सनय और पामरोसा-जमरोसा की खेती होती है। बिलासपुर जिला औषधीय और सुंगधित फसलों के लिए प्रदेश में आगे है।

प्रदेश के सभी जिलों में साग-सब्जियां बोई जाती है। फूल गोभी, पत्ता गोभी, गांठ गोभी, बैंगन, टमाटर, रमकेलिया (भिंडी), आलू, लोबिया, मटर, करेला, सेमी, चुरचुटिया (गंवारफल्ली), मखना (कद्दू), लौकी, तरोई, मुनगा, कोचई (अरबी), मुरई, गाजर, कुंदरू, परवल, शक्करकंद, जिमीकांदा और प्याज की खेती किसानों द्वारा की जाती है।