रायपुर, 10 मार्च (जनसमा)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने शुक्रवार को यहां महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित समारोह में राज्य के आंगनबाड़ी केन्द्रों के तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए संस्कार अभियान और शेष 26 जिलों में संकटग्रस्त महिलाओं के लिए खुलने वाले वन स्टाप ‘सखी-केन्द्रों’ का एक साथ शुभारंभ किया।
नन्हें बच्चों के भविष्य निर्माण में आंगनबाड़ी केन्द्रों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि दिखने में छोटे लगने वाले रचनात्मक कार्यों का बड़ा असर समाज और पूरे देश में होता है। अच्छा काम स्वयं बोलता है। उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 50 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में हमारी कार्यकर्ता बहनें नन्हें बच्चों की देखभाल, उन्हें स्कूल पूर्व शिक्षा देने और कुपोषित बच्चों की सेवा का जो सराहनीय कार्य स्थानीय स्तर पर कर रही है, वह दिखने में छोटा जरूर लगता है पर उसका सकारात्मक असर भावी पीढ़ियों सहित पूरे देश पर होता है। समारोह का आयोजन बूढ़ातालाब (विवेकानंद सरोवर) के सामने इण्डारे स्टेडियम में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में किया गया।
मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के भविष्य को गढ़ने का काम हो रहा है। ये बच्चे ही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर बनेंगे और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हुए देश का नाम रौशन करेंगे।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत छत्तीसगढ़ की महिलाएं गांवों को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विगत छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान डोंगरगढ़ की आम सभा में 104 वर्षीय माता कुंवर बाई का चरण स्पर्श कर इसके लिए उन्हें सम्मानित कर चुके हैं, जिन्होंने बकरियां बेचकर उसकी आमदनी से गांव में अपने घर में शौचालय बनवाया और ग्रामीणों को भी प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा बालक-बालिका जन्म अनुपात में छत्तीसगढ़ आदर्श स्थिति में हैं। हमारे यहां प्रत्येक एक हजार बालकों में 991 लड़कियां पैदा होती हैं। हमारे यहां भ्रूण हत्या का पाप नहीं होता।
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