बीजापुर (छत्तीसगढ़), 13 अगस्त (जस)। जिले में प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाले कुसुम के पेड़ो से लाख उत्पादन कर वनवासियों की जिंदगी बदलने वाली है। लाख पालन में लगे नक्सल प्रभावित क्षेत्र के सैकड़ों वनवासियों को इस काम से लाखों रूपये की आमदनी से तकदीर और तस्वीर बदलने की उम्मीद की जा रही है। बीते साल वनमण्डल बीजापुर के लघु वनोपज समिति ने लाख पालन के लिए 50 समूहों को 24 लाख रूपये जारी किया है जो हितग्राहियों के जीवन में एक बड़े आर्थिक बदलाव का संकेत है।
जिले के 50 स्व सहायता समूहों के 1000 लोगों को लाख पालन का प्रशिक्षण दिया गया है। इस प्रशिक्षण से ग्रामीण अपने इलाकों में लाख पालन का काम पूरी मुस्तैदी के साथ कर रहे है। जिले में कुसुम के पेड़ बहुतायत में पाये जाते है जिसमें लाख पालन की प्रक्रिया सबसे आसान और सुलभ होती है। वनमण्डल के अंतर्गत तकरीबन 10000 कुसुम के पेड़ उपलब्ध है। सबसे अच्छा लाख कुसुम के पेड़ पर ही बनता है। एक कुसुम के पेड़ से एक हितग्राही को लाख पालन कर करीब 15000 रूपये तक की आमदनी होती है। एक पेड़ में 50 से 60 किलो लाख प्राप्त किया जा सकता है।
लाख रंगीनी एवं कुसुमी दो प्रकार का होता है जिसका यहां शासकीय समर्थन मूल्य 230 रूपये से 320 रूपये तक है। घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले वनवासी जिनकी आय का अन्य कोई स्रोत नही होने से लाख पालन का काम उनके जीवन में आर्थिक समृद्धि लाने में महत्वपूर्ण भूमिका तय करेगा। बीते साल वनमण्डल ने कुसुम पेड़ो के शाख कर्तन, कीट संचालन एवं लाख पालन के लिए समूहों के खाते में 24 लाख रूपये जमा किये है जो वनवासियों के आर्थिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक परिवेश को भी ऊंचा उठाने में कारगर होगी। भविष्य में इन समूहों को लाख उत्पादन से करोड़ो की आमदनी प्राप्त होगी।
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