मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने ईवीएम मशीनों को निशाना बनाने की निंदा की जिन्हें अकारण विवाद में घसीटा जा रहा है।
‘ईवीएम का इस्तेमाल पिछले दो दशकों से हो रहा है। वर्ष 2014 के बाद कई चुनावों में मशीनों ने भिन्न-भिन्न चुनावों में भिन्न-भिन्न नतीजे दिए हैं।’
अरोड़ा ने उल्लेख किया कि पांच राज्यों में हाल में हुए चुनावों में भी ईवीएम का इस्तेमाल किए जाने वाले कुल एक लाख 76 हजार निर्वाचन केंद्रों में से मानक संचालन प्रक्रिया के उल्लंघन की केवल छह घटानाएं हुईं, और वे भी आरक्षित ईवीएम मशीनों में जिन्हें वास्तविक चुनावों में इस्तेमाल नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि यह अनुपात नगण्य है लेकिन इसके बावजूद ऐसे मामलों में भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह की त्रुटि को न बर्दाश्त किया है और न बर्दाश्त करेगा।’
अरोड़ा और चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने गुरूवार को नई दिल्ली में ‘चुनावों को समावेशी और सुगम बनाना’ विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
सुनील अरोड़ा ने कहा कि स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, विश्वसनीय और नैतिक चुनाव एक लोकतांत्रिक सरकार की वैधानिकता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि धमकी देने, दवाब डालने आदि से निर्वाचन आयोग को मतदान पर्ची वाले पुराने दिनों में वापस जाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
मतदान पर्ची वाले समय गलत पहचान के आधार पर वोट डालने और असामाजिक तत्वों द्वारा बूथ लूटने आदि से संबंधित असंख्य शिकायतें आती थी।
इसके अतिरिक्त, चुनाव परिणाम की घोषणा में विलंब होता था और कभी-कभी इसमें तीन से चार दिन लग जाते थे।
ईवीएम की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को सुरक्षित रखने के लिए चुनाव आयोग ने एक सशक्त प्रौद्योगिकी और प्रशासनिक व्यवस्था को बनाये रखा है।
वीवीपैट ने मतदाताओं के मतों की पारदर्शिता को और भी बेहतर बनाया है।
अशोक लवासा ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में पारदर्शी तरीके से स्वतंत्र, निष्पक्ष और भरोसेमंद चुनाव कराने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उसने चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ उत्कृष्ट व्यवहारों और ज्ञान कौशल को साझा किया है।
उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग की अंतरराष्ट्रीय जगत में निभाई गई सक्रिय भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि आयोग ने एफईएमबीओएसए, एएईए, ए-वेब और इंटरनेशनल आईडिया जैसे क्षेत्रीय तथा विश्व निकायों के साथ नजदीकी सहयोग के जरिये चुनाव प्रबंधन के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई है।
इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग ने जॉर्डन, मालदीव, नामीबिया, मिस्र, भूटान और नेपाल जैसे कई देशों को तकनीकी सहायता प्रदान की है; कई देशों में चुनाव के लिए अध्ययन/पर्यवेक्षण मिशन भेजे हैं, अनुभवों तथा कौशल को साझा करने के लिए आदान-प्रदान किया है और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सहायता प्रदान की है।
लवासा ने कहा, ‘यह भारतीय जनता, हमारे लोकतंत्र और चुनाव प्रणाली के लिए गौरव की बात है कि 1951 के शुरुआती दौर में मतदाताओं की संख्या 17 करोड़ 60 लाख थी जो 2014 में 66.4 प्रतिशत बढ़कर लगभग 88 करोड़ हो गई है।’
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