हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने प्रदेश में हरित क्षेत्र बढ़ाने और तालाब निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर बल दिया तथा कहा कि इनके निर्माण से वनों में नमी बनी रहेगी, जिससे वनों को आग से भी सुरक्षित रखा जा सकेगा।
उन्होंने विभिन्न विभागों की विकास परियोजनाओं को स्वीकृति देने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री शनिवार को शिमला में वन विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि तालाबों का निर्माण सही आंकलन के उपरान्त ऐसे स्थानों पर किया जाना चाहिए, जहां लोग को अधिकतम लाभ हो सके।
उन्होंने तालाब निर्माण की योजना तैयार करने तथा विशेषज्ञों की सहायता से प्रथम चरण में लगभग पांच जल शेड तैयार करने को भी कहा।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में वन विभाग द्वारा बाहरी सहायता से चार प्रमुख परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही है, जिनमें वन प्रबन्धन, जैव विविधता संरक्षण व आजीविका सुधार के लिए 800 करोड़ रुपये की जाइका वन्य परियोजना प्रदेश के छः जिलों में 10 वर्ष की अवधि में कार्यान्वित की जाएगी।
इसी प्रकार 665 करोड़ के निवेश से हिमाचल प्रदेश में वन समृद्धि परियोजना पांच वर्षों के लिए कार्यान्वित की जाएगी और प्रदेश में लन्टाना उन्मूलन के लिए हि.प्र. वन इको सिस्टम क्लाईमेंट कन्ट्रोल पु्रफिंग परियोजना भी कार्यान्वित की जा रही है।
ठाकुर नेकहा कि प्रदेश में 700 करोड़ रुपये की एकीकृत विकास परियोजना भी सात वर्षों की अवधि के लिए कार्यान्वित की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा गुणवत्ता व उचित निगरानी प्रक्रिया सुनिश्चित बनाने के लिए वृक्षारोपण के मापदण्डों से हटाकर नर्सरी के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया है।
ठाकुर ने नर्सरियों के उचित रख-रखाव के लिए बाड़ लगाने के भी निर्देश दिए।
वन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि इस वर्ष के दौरान बन्दरों को पकड़ने तथा नसबन्दी के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव वन तरूण कपूर ने बैठक में बताया कि विभाग द्वारा तीन वर्षों के दौरान प्रदेश के 601 स्थानों पर 86,186 लोगों को शामिल कर 17.54 लाख पौधों का रोपण किया गया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. श्रीकान्त बाल्दी और अनिल खाची, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन अजय कुमार व वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
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