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मिर्ची की खेती ने जिन्दगी बदली, बेटी को पढ़ने इटली भेजा

पहले वह गेहूं की खेती करता था और काम चला लेता था। लेकिन जब से उसने खेती के पेटर्न को बदल कर मिर्ची उगाना शुरू किया, उसकी आमदनी कई गुणा बढ़ गई। आमदनी बढ़ने से उसने बच्चों की पढ़ाई पर और ज्यादा ध्यान देना शुरू किया। नतीजतन बारहवीं तक पढे़ संतोष ने बेटी को फैशन डिजायनिंग कोर्स के लिए इटली भेजा है। वे कहते हैं गेहूँ की परम्परागत फसल को बदलकर मिर्ची लगाने का फैसला सही रहा।

यह कहानी है छोटी हरदा के किसान संतोष जेवल्या की। उनकी जिंदगी में मिर्ची की खेती की बदौलत मिठास घुल गई है। रबी सीजन में सालों से गेहूं की फसल लेने वाले संतोष को मिर्ची की खेती से अच्छी आमदनी मिल रही है।

संतोष ने अपनी 14 एकड़ जमीन पर 7 साल पहले शासकीय सहायता से 5 लाख रूपये का ड्रीप सिस्टम लगवाया था। उन्हें 2 लाख रूपये अनुदान भी मिला। संतोष बताते हैं कि मिर्ची लगाने का प्रति एकड़ खर्च लगभग डेढ लाख रूपये आता है और सभी खर्चे काटकर हर हाल में डेढ लाख रूपये का मुनाफा हो जाता हैं।

संतोष ने अपनी सूझबूझ से मिर्ची की खेती से 5 लाख रूपये प्रति एकड़ का मुनाफा लिया है। अब एक एकड़ में 500 क्विंटल तक मिर्ची का उत्पादन ले रहे हैं। कृषक संतोष
का स्पष्ट मानना है कि सही मेहनत की जाए तो मिर्ची की खेती में नुकसान का प्रश्न ही नहीं उठता।

संतोष रोज सुबह 5 बजे से 10 बजे तक पांच घंटे खेत में लगातार मेहनत करते हैं। इन्होंने नवंबर महीने में मिर्ची की बेड और मल्चिंग पद्धति से बोवनी की थी। इन दिनों पौधों में हरी-हरी तीखी मिर्ची की बहार आई हुई है। इन्हें प्रति-दिन बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन मिल रहा है।

किसान संतोष जेवल्या सात साल से मिर्ची की खेती कर रहे हैं। पहली बार से ही इन्हें मिर्ची का अच्छा उत्पादन मिलने लगा था। अब वे हर साल 14 एकड़ रकबे में मिर्ची लगा रहे हैं। फसल में ड्रिप सिस्टम से पानी देते हैं। यह स्थिति है कि उन्हें मिर्ची बेचने के लिये बाजार तलाशने की भी जरूरत नहीं पड़ती। मुम्बई, इन्दौर, भोपाल, खण्डवा के खरीददार खेत से ही मिर्ची लोड कर ले जाते हैं। कई किसान इनकी मिर्ची की खेती देखने के लिए किसान दूर-दूर से यहां पहुंच रहे हैं। पिछले कुछ सालों में जिले के कई किसानों ने उद्यानिकी खेती की ओर रुख किया है।

उद्यानिकी विभाग के मुताबिक हरदा जिले में 875 एकड़ में किसान मिर्ची की खेती कर रहे हैं। मिर्ची से किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है। इससे मिर्ची की खेती के रकबे में निरंतर वृद्धि भी हो रही है।