नई दिल्ली, 18 जनवरी| भारत ने बुधवार को कहा कि अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को लेकर बेहद संवेदनशील रहने वाला चीन नई दिल्ली की चिंताओं का आदर करने में विफल रहा है। नई दिल्ली ने बीजिंग से भारत की चिंता का निराकरण करने की मांग की है।
भू-राजनैतिक सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ के द्वितीय संस्करण को संबोधित करते हुए विदेश सचिव जयशंकर ने कहा, “चीन अपनी संप्रभुता को लेकर बेहद संवेदनशील है। हम उम्मीद करते हैं कि वह अन्य देशों की संप्रभुता का भी आदर करेगा।”
विदेश सचिव ने समारोह में एक सवाल के जवाब में कहा, “सीपीईसी (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) एक ऐसे क्षेत्र से होकर गुजरता है, जो हमारा है। निश्चित तौर पर, लोग भारतीयों की प्रतिक्रिया को समझेंगे। इसका उसे आदर करना चाहिए था और मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि हमें इस तरह का कोई संकेत नहीं मिला है।”
भारत ने 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर कड़ी आपत्ति जताई है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है, जिसपर भारत अपना दावा जताता है।
विदेश सचिव की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि क्षेत्रीय संपर्को में सुधार के लिए संप्रभुता के प्रति आदर जरूरी है।
भारत की चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए सीपीईसी का निर्माण किया जा रहा है।
सीपीईसी का मुद्दा चीन-भारत के संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाले मुद्दों में से एक है। भारत ने चीन के साथ यह मुद्दा सर्वोच्च कूटनीतिक स्तर पर उठाया है।
जयशंकर ने कहा, “हमारा विकास चीन के प्रगति के लिए बाधक नहीं है, जैसा कि चीन की प्रगति हमारे लिए बाधक नहीं है।”
चीन के वन बेल्ट वन रोड संपर्क कार्यक्रम के तहत सीपीईसी एक प्रमुख परियोजना है।
सीपीईसी चीन के अशांत शिनजियान प्रांत के काशगर को पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगा, जिससे चीन की पहुंच अरब सागर तक सड़क मार्ग से हो जाएगी।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता की दावेदारी की राह में चीन द्वारा बार-बार रोड़ा अटकाने तथा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों में बार-बार रोड़ा अटकाने को लेकर भारत व चीन के द्विपक्षीय संबंधों पर संदेह के बादल छाये हुए हैं।
दक्षिण चीन सागर विवाद पर जयशंकर ने कहा कि भारत का रुख तर्कयुक्त और इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय रुख के अनुकूल है।
चीन ने लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताया है। बीते साल एक अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने चीन के इस दावे को खारिज कर दिया था। फिलीपींस ने चीन के दावे के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अदालत में मुकदमा किया था।
फैसले को ‘अवैध’ बताते हुए चीन ने इसकी निंदा की थी।
भारत ने संबंधित पक्षों से अंतर्राष्ट्रीय अदालत के फैसले का आदर करने को कहा था।
–आईएएनएस
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