नई दिल्ली, 8 जनवरी | अपनी पहली ही फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ में अपने शानदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री भूमि पेडनेकर का मानना है कि सिनेमा लोगों से जुड़ने व संवाद स्थापित करने का सबसे बेहतर और सहज माध्यम है।
‘दम लगा के हईशा’ फिल्म के जरिए संदेश दिया गया था कि अगर प्यार कायम है तो फिर किसी महिला का अधिक वजन का होना कोई बुरी बात नहीं है। भूमि की दूसरी फिल्म ‘ट्वायलेट : एक प्रेम कथा’ भी सामाजिक संदेश देती है। उनका कहना है कि उन्हें इस बात की बहुत खुशी है कि बॉलीवुड में सामाजिक संदेश देने वाली फिल्में बन रही हैं।
भूमि ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, “मुझे लगता है कि आज के लोग, दर्शक और फिल्मकार, हम सब समस्याओं और अपने आस-पास की परिस्थितियों के प्रति जागरूक हो गए हैं। इससे पहले हम इसे अनदेखा करने की स्थिति में थे..लेकिन मुझे लगता है कि हम उस मोड़ पर पहुंच चुके हैं जहां हम कुछ चीजों की अनदेखी नहीं कर सकते और मुझे यह बहुत अच्छा लगता है।”
भूमि के मुताबिक, “सिनेमा लोगों से संवाद स्थापित करने का सबसे बड़ा और आसान माध्यम है और अगर आप इसका अच्छे मकसद से इस्तेमाल कर सकते हैं, तो फिर ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए।”
भूमि (27) ने कहा कि ‘ट्वायलेट : एक प्रेम कथा’ थकाऊ उपदेश देने वाली फिल्म नहीं है बल्कि यह एक खूबसूरत प्रेम कहानी है जो समाज के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाती है।
भूमि के प्रशंसकों को लगता है कि इस फिल्म में भी उनकी भूमिका ‘दम लगा के हईशा’ से मिलती-जुलती है, लेकिन भूमि इससे साफ इनकार करती हैं। अभिनेत्री का कहना है कि वह फिल्म की कहानी और किरदार को महत्व देती हैं। उन्हें भारतीय लड़कियों के जीवन से जुड़ी वास्तविक कहानियां पसंद आती हैं।
यथार्थवादी और सामाजिक फिल्मों में काम करके भूमि बेहद खुश हैं।
‘दम लगा के हईशा’ 2015 में रिलीज हुई थी जबकि ‘ट्वायलेट एक प्रेम कथा’ जून 2017 में रिलीज होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या इस अंतराल ने उन्हें एक नई छवि गढ़ने में मदद की, भूमि ने कहा कि पहली फिल्म के लिए उन्होंने अपना वजन बढ़ाया था और फिर से अपने पुराने रूप में लौटने में समय लग गया।
उन्होंने बताया कि उन पटकथाओं को चुनने में उन्होंने समय लिया जिनका वह सच में हिस्सा बनना चाहती थी।
भूमि खुद को खुशकिस्मत मानती हैं और उनके जीवन में फिलहाल सब कुछ अच्छा चल रहा है।– दुर्गा चक्रवर्ती
–आईएएनएस
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