हमारे नागरिक आज भी गरीबी में और गरीबी के बहुत निकट रह रहे है। उन्हें पर्याप्त चिकित्सा सेवा, शिक्षा, आवास तथा नागरिक सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और महिलाओं जैसे समाज के परंपरागत रूप से कमजोर वर्गों के मामले में विशेष रूप से सत्य है।
यह चिन्ता व्यक्त की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जो बुधवार 27 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के गुंटूर में इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के शताब्दी सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे।।
राष्ट्रपति ने कहा कि 2022 तक, जब भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनायेगा, नए भारत के सपनों को हासिल करने के लिए इन समस्याओं का समाधान आवश्यक है। हमें स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश को मानव पूंजी में निवेश मानना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि औपचारिक रोजगार का जमाना रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है और मैन्यूफैक्चरिंग, सेवा क्षेत्र और डिजिटल अर्थव्यवस्था में स्वरोजगार का अवसर प्रदान कर रहा है। कामगारों की सुरक्षा के लिए हमें सामाजिक सुरक्षा उपाए और सुरक्षा नेट तैयार करने होंगे।
उन्होंने कहा कि समाज में असमानताओं से निपटने के लिए विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता पर विजय पाना होगा। यह असमानता विभिन्न क्षेत्रों में भी है और इसके लिए दूरदर्शी नीति की आवश्यकता है।
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