नई दिल्ली, 21 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रतिस्पर्धा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सरकार को बदलते परिदृश्य के साथ नियामक के बजाए समर्थक की भूमिका निभानी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा, ‘’ये कॉम्पटीशन का दौर है इसलिए चुनौतियां बड़ी हैं। पिछले 20 सालों में काफी बदलाव हुए हैं। इस एक साल में गुणात्मक बदलाव होने चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘’सिविल सेवा में मेधावी लोग आते हैं इसलिए काम भी उसी तरह होना चाहिए।’’
मोदी ने शुक्रवार को सिविल सर्विसेस दिवस पर नौकरशाहों को संबोधित करते हुए कहा, “पहले, सरकार ही सब कुछ होती है। जनता सभी तरह की जरूरतों के लिए सरकार पर निर्भर थी, लेकिन अब उनके पास विकल्प हैं।”
मोदी ने निजी अस्पतालों और विमानन कंपनियों का उदाहरण देते हुए कहा कि लोग सरकारी सेवाओं की आलोचना कर रहे हैं और निजी सेवाओं से अधिक संतुष्ट नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम उस समय से आगे बढ़ रहे हैं, जब सरकार ही सबकुछ होती थी। हम अब प्रतिस्पर्धा के युग में हैं।”
मोदी ने कहा कि अब अधिक विकल्प उपलब्ध हैं। सरकार की जिम्मेदारियां बढ़ी हैं। काम का बोझ नहीं बढ़ा है, बल्कि चुनौतियां बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा, “जितनी जल्दी हम अपनी कार्यशैली बदलेंगे, हमारे सोचने के तरीके में भी उतना ही बदलाव आएगा। हम जितना जल्दी नियामक के तौर पर अपनी भूमिका से बाहर आएंगे और एक समर्थक इकाई के रूप में विकसित होंगे, उतना बेहतर होगा।”
दो दिवसीय सिविल सेवा दिवस समारोह गुरुवार को शुरु हुआ था। प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार प्राथमिक तौर पर पांच प्रमुख कार्यक्रमों प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट और स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया के क्रियान्वयन में उत्कृष्टता पर आधारित हैं।
इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास आदि क्षेत्रों में इनोवेटिवन कामों के लिए भी पुरस्कार दिए गए।
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