Shyam Benegal

जलवायु परिवर्तन पर फिल्म बनाना असान नहीं : बेनेगल

नई दिल्ली , 8 दिसम्बर | जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को नुकसान जैसे मुद्दे समकालीन दौर में बहस के मुद्दों के तौर पर उभरे हैं, लेकिन फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का कहना है कि भारतीय लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि यह उनके चेतना में नहीं है और वे ज्यादा जागरूक नहीं हैं।

उनका मानना है कि फिल्म के माध्यम से दर्शाने के लिए पैसे के निवेश के साथ-साथ बढ़िया तकनीक और रणनीति की भी जरूरत है।

बेनेगल (82) ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में बताया, ” सबसे जरूरी बात इसे अपनी चेतना में रखना है ताकि हम खुद पर पड़ते जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को जान सकें और इसके अनुसार, काम कर सकें। हम जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि यह हमारी चेतना में नहीं है।”

उन्होंने दिल्ली की सर्दियों को याद करते हुए बातया कि उस समय भी कोहरा और धुंध होता था। लेकिन यह प्रदूषण रहित होता था। बेनेगल कहते हैं कि प्रदूषण और धुएं के चलते अब कोहरा नहीं रह गया है। सांस लेना दूभर हो गया है।

बेनेगल को 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्मभूषण से नवाजा गया। 2005 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें सात बार सवश्रेष्ठ हिंदी फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

बेनेगल (82) पिछले सप्ताह सतत विकास पर आधारित फोटोग्राफी प्रदर्शनी ‘ हैबीटेट फोटोस्फेयर’ का उद्घाटन करने के लिए दिल्ली आए थे।

बेनेगल (82) के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के संबंध में बड़े पैमाने पर व्याख्या करने की जरूरत है। हर गुजरते साल के साथ स्थिती और बिगड़ती जा रही है। फिल्मकार ने पर्यावरण संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया।

जलवायु परिवर्तन के विषय पर आधारित अमिताव घोष की हालिया किताब ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट’ को उन्होंने बेहतरीन किताब बताया।

बेनेगल ने कहा कि अगर जलवायु परविर्तन पर फिल्म बनता है तो फिर सबसे बड़ी दिक्कत फिल्म बनने में जितने पैसे खर्च हुए है उतना पैसा मिलने को लेकर है या फिर इसे ऐसी तकनीक और रणनीति से बनाना चाहिए कि दर्शको को यह आकर्षित कर सके।

 फिल्मकार ने कहा कि इस मुद्दे पर फिल्म बनाने के लिए सारे राज्य सरकारों को धनराशि उपलब्ध कराना चाहिए। –आईएएनएस