नई दिल्ली (जनसमा)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण में काफी संख्या में दायर याचिकाओं के कारण अधिकरण की विभिन्न शाखाएं सीजीडब्ल्यूए को निर्देश दे रही हैं कि देश में नियमानुसार भूजल निकाला जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
इसी सन्दर्भ में केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने भूजल निकालने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ जारी करने का प्रारूप दिशा निर्देश और ‘जन सूचना’ प्रारूप को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासकों को भेजा है, जिस पर उन्हें 60 दिन के भीतर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा गया है।
इन दिशा निर्देशों से देश भर में एक समान नियामक प्रारूप सुनिश्चित होगा, ताकि नियमन की असमानता को समाप्त या कम किया जा सके। दिशा निर्देशों के प्रमुख संशोधनों में संपूर्ण देश का कवरेज, भूजल निकालने की मात्रा पर आधारित (जिले के राजस्व प्रमुख, एजेंसी/स्टेट नोडल एजेंसी/राज्य भूजल प्राधिकरण और सीजीडब्ल्यूए) अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकरणों का विकेन्द्रीयकरण, परियोजना प्रस्तावित करने वालों द्वारा, कृत्रिम रीचार्ज प्रस्तावों से संबंधित प्रावधानों के अनुरूप वितरण करना और कृत्रिम रीचार्ज संरचनाओं का निर्माण, रीचार्ज व्यवस्था के बदले जल संरक्षण शुल्क शुरू करना, प्रभावी भूजल प्रबंधन के लिए राज्यों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले जल संरक्षण शुल्क के जरिए कोष बढ़ाना आदि शामिल हैं।
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा-3(3) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा गठित सीजीडब्ल्यूए देश में भूजल विकास और प्रबंधन का नियमन करता है। यह प्राधिकरण उद्योगों/बुनियादी ढांचा/खनन परियोजनाओं के वास्ते भूजल निकालने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करता है।
पूरा प्रारूप दिशा निर्देश सीजीडब्ल्यूबी की वेबसाइट पर उपलब्ध है और सार्वजनिक/राज्य सरकारों के हितधारकों की जानकारी के लिए एनओसीएपी (www.cgwb.gov.in, www.cgwa-noc.gov.in) पर देखें।
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