इस वर्ष निर्यात (Export ) में कोई खास वृद्धि (significant increase ) नहीं हुई है और यह संतोषजनक नहीं है, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद के कारण भारत से निर्यात बढ़ाने की असीम संभावनाएं हैं।
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग ( Commerce & Industry) और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आज 12 सितंबर को नई दिल्ली में व्यापार बोर्ड (Board of Trade ) की दूसरी बैठक को संबोधित करते हुए यह चिन्ता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद के कारण भारतीय निर्माताओं को अमेरिका अथवा चीन में अपने उत्पादों का निर्यात (Export) करने के अवसर मिल गए हैं।
गोयल ने कहा कि भारत का अमेरिका के साथ 70 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष (सरप्लस) है, जबकि भारत का चीन के साथ 53 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा है।
गोयल ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए भारत को विभिन्न क्षेत्रों में कृषि एवं फार्मा उत्पादों (Agriculture and Pharma Products) की बाजार पहुंच तलाशने की जरूरत है।
उन्होंने ने कहा कि वैसे तो भारत से कुल निर्यात (Export) वर्ष 2018-19 में आधे ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर 537 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, लेकिन वस्तुओं का निर्यात (Export) अब तक का सर्वाधिक 331 अरब अमेरिकी डॉलर और सेवा निर्यात रिकॉर्ड 205 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया है।
यही नहीं, भारत को अगले 5 वर्षों में अपने निर्यात को बढ़ाकर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंचाना है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें घरेलू उत्पादन बढ़ाने तथा अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता को बेहतर करने की जरूरत है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने घोषणा की कि मंत्रालय जल्द ही मौजूदा 60 प्रतिशत के बजाय 90 प्रतिशत तक के विस्तारित बीमा कवर के साथ निर्यातकों (Exporters) के लिए एक ऋण योजना पेश करेगा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि बैंकों का विलय हो जाने से वे अब ज्यादा ऋण देने, ज्यादा जोखिम उठाने और बाजार से संसाधन जुटाने में समर्थ हो जाएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को 70,000 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे और 5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी एवं तरलता (लिक्विडिटी) से कंपनियां, छोटे कर्जदार, एमएसएमई, छोटे व्यापारी और निर्यातक लाभान्वित होंगे।
उन्होंने बताया कि एमएसएमई के सभी लंबित जीएसटी (GST) (वस्तु एवं सेवा कर) रिफंड 30 दिन के भीतर बाकायदा हो जाएंगे। इसी तरह बेहतर ‘एकमुश्त निपटान नीति’ से एमएसएमई और छोटे कर्जदारों को अपनी बकाया रकम की अदायगी में सुविधा होगी।
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