उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आधार कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई करेगी।
विभिन्न सेवाओं और सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने के केंद्र के निर्णय को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा है कि इसी वर्ष नवम्बर के अंतिम सप्ताह में संविधान पीठ इन याचिकाओं की सुनवाई करेगी।
इससे पहले, शीर्ष न्यायालय ने इसी विषय पर पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार किस प्रकार संसद के निर्णय को चुनौती दे सकती है।
न्यायालय ने कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी व्यक्तिगत तौर पर याचिका दायर करेंगी तो उस विचार किया जाएगा।
न्यायालय ने मोबाइल फोन को आधार से जोड़ने के आदेश को चुनौती देनेवाली एक व्यक्ति की याचिका पर केन्द्र से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि केद्र ने आधार संख्या को जोड़ने से संबंधित क्षेत्रों के विस्तार के आरोपों का खंडन करते हुए विस्तृत शपथ-पत्र दाखिल किया है, जिसके बाद न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई नवंबर के आखिरी सप्ताह में तय कर दी।
वेणुगोपाल ने न्यायालय से अन्य कोई अंतरिम आदेश नहीं देने का आग्रह करते हुए कहा कि सरकार ने आधार को लागू करने में हो रही कठिनाइयों के संबंध में 100 से ज्यादा आदेश और अधिसूचनाएं लागू की हैं।
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