सरकार ने आने वाले सात सालों में भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के बारे में विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
इस बारे में शुक्रवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने अर्थव्यवस्था बनाने के बारे में कार्य समूह की बैठक में विचार-विमर्श किया।
बैठक में सीआईआई, फिक्की, आईएफसी, नास्कॉम, नीति आयोग के प्रमुख तथा वाणिज्य विभाग तथा डीआईपीपी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
प्रभु ने कहा कि विनिर्माणए सेवा तथा कृषि क्षेत्रों में लगातार वृद्धि से भारत का जीडीपी 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो सकता है।
उन्होंने बिजनेस मॉडल तथा रणनीतियां बनाने और भारतीय व्यवस्था को बढ़ाने में नए टेक्नोलॉजी का लाभ लेने में निजी क्षेत्री की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में सरकार सहायता देने का काम करेगी।
बैठक में भाग लेने वालों ने प्रौद्योगिकी बाधाओं, जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली चुनौतियों, भारत के जनसांख्यिकी लाभ के सार्थक उपयोग, भारत के विनिर्माण क्षेत्र को वैश्विक वैल्यू चेन का हिस्सा बनाने के सचेत प्रयासों तथा छोटे तथा मझौले उद्यमों को मान्यता देने जैसे विषयों पर चर्चा की।
भारत सरकार ने 12 चैम्पियन क्षेत्रों पर बल दिया है ताकि मैन्यूफैक्चरिंग में विकास हो सके तथा रोजगार के अवसरों का सृजन हो सके। इन क्षेत्रों में वैश्विक चैम्पियन बनने और विनिर्माण के क्षेत्र में दो अंकीय विकास को प्रेरित करने की क्षमता है।
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