नई दिल्ली, 30 अप्रैल। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना के दौरान ली जाने वाली दवाओं को लेकर चौंकाने वाली जानकारी दी है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि कोरोना के दौरान इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग या अत्यधिक उपयोग किया गया। इससे रोगियों की स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ है, लेकिन निश्चित रूप से रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के मौन प्रसार और इससे जुड़े जोखिमों में वृद्धि हुई है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है जिसमें एंटीबायोटिक्स कई प्रकार के संक्रमणों को रोकने में अप्रभावी हो जाते हैं। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले सिर्फ 8 फीसदी मरीज बैक्टीरिया के कारण संक्रमित हुए। इस संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक्स से संभव है, लेकिन फिर भी हर चार में से तीन कोरोना मरीजों यानी 75 फीसदी को एंटीबायोटिक्स सिर्फ इस उम्मीद में दी गईं कि उनसे फायदा हो सकता है।
WHO के मुताबिक, कोरोना से पीड़ित मरीजों में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, लेकिन जिन लोगों को बैक्टीरियल संक्रमण नहीं है, उनमें ये दवाएं जरूर नुकसान पहुंचाती हैं।
ये निष्कर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बनाए गए COVID-19 के वैश्विक प्लेटफ़ॉर्म के डेटा के विश्लेषण पर आधारित हैं। जनवरी 2020 और मार्च 2023 के बीच 65 देशों के 450,000 रोगियों से डेटा एकत्र किया गया था।
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