केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण (Nirmala Sitaraman ) ने कॉरपोरेट करों (corporate tax) में 22 प्रतिशत तक और नई घरेलू विनिर्माण कम्पनियों के लिए 15 प्रतिशत तक करों में कटौती की घोषणा की है।
अनुमान है कि कॉरपोरेट करों (corporate tax) में कटौती और अन्य राहत उपायों के कारण सरकार को इस साल एक लाख 45 हजार करोड़ रूपये का राजस्व कम मिलेगा।
इसके मायने यह है कि कॉरपोरेट करों (corporate tax) में कटौती के कारण 1.45 लाख करोड़ की यह राशि कम्पनियों के पास रह जाएगी जिससे वे कारोबार को बढ़ाने, नया इनवेस्ट करने आदि में पूंजी लगाने में सक्षम हो जाएंगे।
सरकार आयकर अधिनियम 1961 और वित्त (संख्या 2) अधिनियम 2019 में कुछ संशोधन करने के लिए कराधान कानून (संशोधन) अध्यादेश 2019 (ordinance 2019) लेकर आई है।
केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री (Union Minister for Finance and Corporate Affairs) श्रीमती निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार 20 सितंबर, 2019 को गोवा (Goa) में एक प्रेस वार्ता के दौरान यह बात कही।
वित्त मंत्री ने इस संशोधनों की विशेषताओं के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी :-
- विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए आयकर अधिनियम में एक नया प्रावधान डाला गया है, जो वित्तीय वर्ष 2019-20 से प्रभावी होगा। यह किसी भी घरेलू कंपनी को 22% की दर से आयकर का भुगतान करने का विकल्प देता है। इसके लिए शर्त यह है कि वह किसी तरह की छूट/प्रोत्साहन नहीं लेंगे। सरचार्ज और उपकर को मिलाकर कंपनियों के लिए प्रभावी कर की दर 25.17% होगी। ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान करने की आवश्यकता भी नहीं होगी।
- विनिर्माण क्षेत्र में ताजा निवेश को आकर्षित करने और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए आयकर अधिनियम में एक नए प्रावधान को शामिल किया गया है। यह वित्तीय वर्ष 2019-20 से प्रभावी होगा। ऐसी कोई भी नई घरेलू कंपनी जो 1 अक्टूबर 2019 या उसके बाद स्थापित हुई हो, उसे नए निवेश को शामिल करने की अनुमति होगी। उसके पास 15% की दर से कर चुकाने का विकल्प होगा। यह लाभ उन कंपनियों के लिए उपलब्ध है जो किसी तरह की छूट/प्रोत्साहन का लाभ नहीं उठाती हैं और उनका उत्पादन 31 मार्च, 2023 या उससे पहले शुरू हो जाएगा। सरचार्ज और उपकर मिलाकर इन कंपनियों के लिए प्रभावी कर की दर 17.01% होगी। ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान करने की आवश्यकता भी नहीं होगी।
- एक कंपनी जो रियायती कर व्यवस्था का विकल्प नहीं चुनती है और कर छूट/प्रोत्साहन का लाभ उठाती है, वे पूर्व-संशोधित दर पर ही कर का भुगतान करती रहेगी। हालांकि, ये कंपनियां अपने कर छूट की अवधि समाप्त होने के बाद रियायती कर व्यवस्था का विकल्प चुन सकती हैं। विकल्प चुनने के बाद वे 22% की दर से कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे और एक बार इस्तेमाल करने के बाद इस विकल्प को वापस नहीं लिया जा सकता है। ऐसी कंपनियों जो छूट/प्रोत्साहन का लाभ उठाना जारी रखती हैं, उन्हें राहत प्रदान करने के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर को 18.5% से घटाकर 15% कर दिया गया है।
- पूंजी बाजार में धन के प्रभाव को स्थिर बनाए रखने के लिए वित्त (संख्या 2) अधिनियम, 2019 द्वारा बढ़ाया सरचार्ज कंपनी में शेयरों की बिक्री अथवा इक्विटी फंड यूनिट की बिक्री अथवा प्रतिभूति लेनदेन कर के लिए उत्तरदायी व्यवसायिक ट्रस्ट की एक इकाई को एक व्यक्ति, एचयूएफ, एओपी, बीओआई और एजेपी द्वारा होने वाले पूंजीगत लाभ पर प्रभावी नहीं होगा।
- बढ़ा हुआ सरचार्ज विदेशी पोर्टफोलियो वाले निवेशकों (एफपीआई) द्वारा डेरिवेटिव्स समेत किसी भी प्रतिभूति की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर भी लागू नहीं होगा।
- 5 जुलाई 2019 से पहले शेयरों के बायबैक का ऐलान करने वाली सूचीबद्ध कंपनियों को राहत पहुंचाने के क्रम में यह फैसला लिया गया है कि उन्हें शेयरों के बायबैक पर लगने वाला कर नहीं देना होगा।
- सरकार ने सीएसआर के तहत होने वाले 2% के खर्च को विस्तार देने का भी फैसला किया है। अब 2% सीआरआर राशि केंद्र अथवा राज्य सरकार अथवा किसी एजेंसी अथवा केद्र व राज्यों के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा वित्तपोषित इनक्यूबेटर्स पर भी खर्च की जा सकेगी। इसके साथ ही एसडीजी को प्रोत्साहन करने के मकसद से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं मेडिसिन के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले सरकारी विश्वविद्यालयों, आईआईटी, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और स्वायत्त संस्थाओं (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आईसीएआर, आईसीएमआर, सीएसआईआर, डीएई, डीआरडीओ, डीएसटी के संरक्षण में स्थापित) के लिए भी योगदान दे सकेंगे।
Follow @JansamacharNews