नई दिल्ली, 26 मार्च | भारत में 7.6 करोड़ की आबादी को स्वच्छ जल सहज उपलब्ध नहीं है, जो पूरी दुनिया के देशों में स्वच्छ जल से वंचित रहने वाले लोगों की सर्वाधिक आबादी है।
इतना ही नहीं विशेषज्ञों ने इस आपदा के और गंभीर होने की आशंका जताई है, क्योंकि भारत में 73 फीसदी भूमिगत जल का दोहन किया जा चुका है।
मैगसेसे अवार्ड विजेता और ‘पानी बाबा’ के नाम से मशहूर राजेंद्र सिंह ने आईएएनएस से कहा, “देश के कुल भूमिगत जल का 73 फीसदी दोहन किया जा चुका है, जिसका मतलब है कि हमने भरण क्षमता से अधिक जल का उपयोग कर लिया है।”
राजेंद्र सिंह कहते हैं कि स्वच्छ जल के सबसे बड़े स्रोत छोटी नदियां और जलधाराएं सूख चुकी हैं, जबकि बड़ी नदियां प्रदूषण से जूझ रही हैं।
वह आगे कहते हैं, “इन सबके बावजूद हम कुल बारिश की सिर्फ 12 फीसदी जल ही संरक्षित कर पाते हैं।”
बीते वर्ष आई वाटरएड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल आबादी का छह प्रतिशत हिस्सा (75,777,997 व्यक्ति) स्वच्छ जल से वंचित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमिगत जल कुल पेयजल का 85 फीसदी आपूर्ति करता है, लेकिन देश के 56 फीसदी हिस्से में भूमिगत जल के स्तर में गिरावट आई है।
इस बीच भारत सरकार ने मार्च, 2021 तक देश की 28,000 बस्तियों को स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए 25,000 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी घोषणा की।
उन्होंने कहा था, “देश के ग्रामीण इलाकों में 17.14 लाख बस्तियां हैं, जिनमें से 77 फीसदी बस्तियों को 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन के औसत से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि चार फीसदी बस्तियों तक अभी भी स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा सकी है।”
तोमर ने यह भी कहा था कि 2030 तक देश के हर घर को पेयजल की आपूर्ति करने वाले नल से जोड़ दिया जाएगा।
हालांकि राजेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के ये आंकड़े वास्तविकता से परे हैं।
वह कहते हैं, “ऐसे गांवों को जहां तक पाइपलाइन बिछा दी गई है या हैंडपंप लगा दिए हैं, उन्हें पेयजल आपूर्ति से जुड़ा गांव माना जाता है। लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है..धरातल पर स्थिति यह है कि देश के हर राज्य की 50 फीसदी आबादी तक पेयजल की आपूर्ति नहीं है।”
कुछ मोटामोटी आंकड़े रखते हुए राजेंद्र सिंह कहते हैं कि देश के करीब 265,000 गांवों तक स्वच्छ जल की आपूर्ति नहीं हुई है।
देश में इस समय प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष करीब 1,745 घन मीटर जल की उपलब्धता है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक बीते पांच वर्षो के दौरान स्वच्छ जल की उपलब्धता 3,000 घन मीटर से घटकर 1,123 घन मीटर रह गई है।
देश में इस समय कुल 1,123 अरब घन मीटर स्वच्छ जल उपलब्ध है, जिसका 84 फीसदी कृषि में इस्तेमाल होता है।
–कुशाग्र दीक्षित
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