रायपुर, 22 अप्रैल (जनसमा)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार दोपहर राजधानी रायपुर में ‘स्कूल शिक्षा में नवाचार एवं श्रेष्ठ अभ्यास’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय पूर्वी क्षेत्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। जावड़ेकर ने इस अवसर पर कहा कि बच्चों के स्कूलों को आग लगाने वाले लोग देश के सबसे बड़े दुश्मन है। छत्तीसगढ़ में बस्तर क्षेत्र में शिक्षा की बुनियादी सुविधा बहाल करने के लिये इसका जवाब पोटा केबिन के जरिये शिक्षा से दिया है।
उन्होने कहा कि राज्य सरकार की मांग पर अब इन पोटा केबिनों का उन्नयन किया जाएगा। बस्तर संभाग में संचालित 24 पोटा केबिन के उन्नयन और वहां छात्रावास निर्माण के लिये 100 करोड़ रूपये की मंजूरी दी। पोटा केबिन में अब आठवी कक्षा से बढ़ाकर कक्षा नवमी और दसवीं की शिक्षा भी दी जाएगी। उन्होने प्रदेश के स्कूलों के ऑनलाईन मॉनिटरिंग के लिये सभी स्कूलों को टेबलेट देने 100 करोड़ रूपये की परियोजना को मंजूरी दी। दोनो परियोजनाओं में केंद्र शासन द्वारा 60 प्रतिशत और राज्य द्वारा 40 प्रतिशत राशि दी जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों की विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार वहां गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये छत्तीसगढ़ ने एजुकेशन हब के रूप में देश को नया मॉडल दिया है। उन्होने कहा कि सड़क पुल-पुलियों के निर्माण से ज्यादा जरूरी पीढ़ियों का निर्माण है। यदि इसमें गफलत हुई तो फिर सुधार नही होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दंतेवाड़ा और सुकमा के बाद बीजापुर, नारायणपुर और कोरबा में एजुकेशन हब का निर्माण किया जा रहा है। दंतेवाड़ा के एजुकेशन हब में 7500 बच्चे आवासीय सुविधा के साथ स्कूल, आईटीआई, पॉलीटेक्निक सहित कौशल विकास का प्रशिक्षण एक ही स्थान पर ले रहे हैं। उन्होने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को शिक्षा के मंदिर के दर्शन के लिये दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी आने का आमंत्रण दिया।
उन्होने प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिये संचालित एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रीगण, मुख्य सचिव सहित सभी जनप्रतिनिधि और अधिकारी साल में दो बार गोद लिये स्कूलों का निरीक्षण करते हैं। बच्चों, शिक्षकों और पालकों से संपर्क कर शिक्षा में सुधार और स्कूल की दिक्कतों का निराकरण करने का प्रयास करते हैं
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