बलिया, 23 जुलाई (हि.स.)। घातक महामारी कोरोनावायरस (COVID-19) के इलाजे के लिए बलिया के डॉ. संजय राय (Dr. Sanjay Rai)
के नेतृत्व में बनी वैक्सीन ‘कोवैक्सिन’ का मानव ट्रायल (Covaxin human trial) शुक्रवार से शुरू (start) हो रहा है।
के नेतृत्व में बनी वैक्सीन ‘कोवैक्सिन’ का मानव ट्रायल (Covaxin human trial) शुक्रवार से शुरू (start) हो रहा है।
‘कोवैक्सिन’ का मानव ट्रायल (Covaxin human trial) शुरू करने से पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली में 12 लोगों की स्क्रीनिंग कर ली गई है।
शुक्रवार को पहला ‘कोवैक्सिन’ का मानव ट्रायल (Covaxin human trial) शुरू होगा। प्रारंभ में दो लोगों को इस वैक्सीन का डोज दिया जाएगा।
तीन चरणों में यदि ‘कोवैक्सिन’ का मानव ट्रायल (Covaxin human trial) सफल रहा तो वैक्सीन उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख (Head of Community Medicine Dept) डॉ. संजय राय ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से दूरभाष पर बातचीत में कहा कि यह पूरी तरह से भारत में बनी वैक्सीन है। देश में अभी तक बहुत ही कम वैक्सीन बनाई गई हैं क्योंकि भारत पहले रिसर्च एंड डेवलपमेंट में उतना आगे नहीं था, जितना अब है। इस वैक्सीन को आईसीएमआर और भारत बायोटेक के साथ मिलकर बनाया गया है। एनिमल ट्रायल हो चुका है। अब ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिली है।
उन्होंने कहा कि ह्यूमन ट्रायल तीन फेज में होगा। फेज वन में ‘कोवैक्सिन’ का एम्स के साथ ही 12 अन्य केंद्रों पर 375 वालंटियर्स पर परीक्षण किया जाएगा जिनमें सौ लोगों पर एम्स में ट्रायल होगा।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन के मानवों परीक्षण में सुरक्षा और प्रभाव का बारीकी से अध्ययन किया जाएगा। रेगुलेटरीज अथॉरिटीज इसे देखती हैं। इस चरण में सफल होने के बाद दूसरे और तीसरे फेज का ट्रायल किया जाएगा।
दूसरे चरण में साढ़े चार सौ लोगों को ‘कोवैक्सिन’ के मानव ट्रायल (Covaxin human trial) में शामिल किया जाएगा। इसके बाद तीसरे फेज में हजारों लोगों पर कोवैक्सिन का ट्रायल करके देखा जाएगा कि मानव शरीर में कितनी एंटीबाडी बन रही है।
वैक्सीन के प्रधान अनुसंधानकर्ता डॉ. राय ने कहा कि’कोवैक्सिन’ के मानव ट्रायल (Covaxin human trial) में 18 से 54 वर्ष के वे लोग शामिल किए जाएंगे, जिन्हें कोरोना का संक्रमण नहीं है। साथ ही कोई अन्य रोग न हो।
उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के बाद यदि वैक्सीन प्रभावशाली और सेफ रही तो इस साल के अंत या अगले साल के प्रारंभ में यह वैक्सीन उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
जड़ों से है गहरा लगाव
डॉ. संजय राय बलिया के सिकंदरपुर कस्बे के निकट लिलकर गांव में पैदा हुए थे।इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गांव में ही रहकर की है। बीएचयू से 1981 में चिकित्सा विज्ञान में ग्रेजुएट डॉ. संजय राय ने एमबीबीएस की पढ़ाई कानपुर मेडिकल कॉलेज से और एमडी बीएचयू से किया।
पढ़ाई पूरी करके बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में कुछ दिनों तक अध्यापन करने के बाद डॉ. संजय चंडीगढ़ एम्स होते हुए फिलहाल दिल्ली एम्स में कार्यरत हैं। उनका अपने गांव लिलकर आना-जाना लगा रहता है।
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