नई दिल्ली, 9 अगस्त। भारत में विश्व आबादी के 18 प्रतिशत से भी अधिक गाय हैं, परंतु गरीब किसान की सामान्य भारतीय गाय प्रतिदिन मुश्किल से 1 से 2 लीटर दूध देती है। 80 प्रतिशत गाय केवल 20 प्रतिशत दूध का योगदान देती हैं।
भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है। दो साल पहले 2015-16 के दौरान 155.48 मिलियन टन वार्षिक दूध का उत्पदन हुआ, जो विश्व के उत्पादन का 19 प्रतिशत है।
पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2023-24 तक 300 मिलियन टन दूध उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य रखा गया है तथा उसके साथ-साथ इसी अवधि के दौरान 40.77 मिलियन प्रजनन योग्य नॉन-डिस्क्रिप्ट गायों की उत्पादकता को 2.15 किग्रा प्रतिदिन से बढ़ाकर 5.00 किग्रा प्रतिदिन करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
सरकार का यह भी कहना है कि भारत ने दूध उत्पादन में अपने उच्च स्तर को बनाए रखा है परंतु दूसरी ओर देसी तथा नॉन-डिस्क्रिप्ट नस्ल के लगभग 80 प्रतिशत गोपशु कम उत्पादकता वाले हैं, जिनकी उत्पादकता में उपयुक्त प्रजनन तकनीकों को अपनाकर सुधार किए जाने की आवश्यकता है।
भारत में 300 मिलियन बोवाईन (सांडों) आबादी है। 190 मिलियन गोपशु आबादी में से 20 प्रतिशत विदेशी तथा वर्ण संकरित (39 मिलियन) हैं तथा लगभग 80 प्रतिशत देसी तथा नॉन-डिस्क्रिप्ट नस्लों के हैं। हालांकि
उत्पादकता में वृद्धि करने की महत्वपूर्ण कार्यनीति कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सुनिश्चित करना है। कृत्रिम गर्भाधान देश में बोवाईनों की आनुवंशिक क्षमता का उन्नयन करते हुए उनके दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाकर बोवाइन आबादी की उत्पादकता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
इस मूल गतिविधि को राष्ट्रीय गौकुल मिशन की एकछत्र योजना के अंतर्गत चल रही अग्रणी योजनाओं, राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन (एनपीबीबी) तथा देसी नस्लों संबंधी कार्यक्रम (आईबी) के माध्यम से संपुष्ट किया जाता है।
किसानों की आय को 2020 तक दोगुना करने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य में सहायता करने के लिए 2017-18 हेतु 100 मिलियन कृत्रिम गर्भाधान के राज्य-वार लक्ष्य को साझा किया गया है। इस संबंध में पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग द्वारा राज्यों को निर्देश दिए गए हैं।
Follow @JansamacharNews