भोपाल, 21 जून (जनसमा)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत और श्रीलंका एक परिवार के समान हैं। दोनों राष्ट्रों के प्राचीनकाल से सांस्कृतिक मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। वे श्रीलंका की यात्रा कर चुके हैं। स्वयं को श्रीलंका के साथ जुड़ा हुआ अनुभव करते हैं। बुधवार को श्रीलंका के श्रम राज्यमंत्री रवीन्द्र समरवीरा ने सौजन्य भेंट की। उन्होंने श्रीलंका में सीता माता मंदिर निर्माण से संबंधित विषयों पर चर्चा की।
शिवराज ने कहा कि पारस्परिक संबंधों की मजबूती के लिये सांची में बौद्ध विश्व विद्यालय और श्रीलंका में सीता माता मंदिर जैसी परियोजनाओं का आकल्पन किया गया। इससे दोनों राष्ट्रों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने मंदिर निर्माण कार्य में श्रीलंका की भावनाओं को शामिल किए जाने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने समरवीरा का प्रदेश आगमन पर स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें यहां अपना सा लगेगा। उन्होंने समरवीरा को आदिवासी संग्रहालय, शौर्य स्मारक, वन विहार और बोट क्लब का भ्रमण करने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने श्रीलंका के राज्यमंत्री को स्मृति चिन्ह के रूप में पुस्तक टाइमलेस ट्रेजर और सांची स्तूप का प्रादर्श भेंट किया।
श्रीलंका के श्रम राज्यमंत्री समरवीरा ने बताया कि श्रीलंका में रामायण से संबंधित चार स्थल हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को श्रीलंका आने का आमंत्रण देते हुए बताया कि सीता माता मंदिर उनके गांव में ही स्थित है। मंदिर के साथ उनके परिवार का गहरा जुड़ाव है। मुख्यमंत्री चौहान ने मंदिर निर्माण की ड्राइंग, डिजाइनिंग और ले-आऊट देखा। मंदिर के प्रवेश द्वार, मठ और धर्मशाला निर्माण की रूपरेखा पर चर्चा भी की।
समरवीरा को बताया गया कि परियोजना में स्मारक के मूलस्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। केवल आधुनिक सुविधाओं के सौंदर्यीकरण का कार्य होगा। सर्वेक्षण का कार्य श्रीलंका के विशेषज्ञों द्वारा किया गया है। आर्किटेक्ट भारतीय विशेषज्ञ हैं जो मंदिर निर्माण और जीर्णोद्वार के विशेषज्ञ है। उनको बताया गया कि आर्किटेक्ट शीघ्र ही उनसे संपर्क कर उनकी अपेक्षाओं की जानकारी प्राप्त करेंगे। रूपरेखा में आवश्यक परिवर्तन करेंगे। श्रीलंका के कांन्ट्रेक्टर द्वारा निर्माण कार्य किया जाएगा। निर्माण कार्य श्रीलंका के लोक निर्माण विभाग के शेड्यूल ऑफ रेट के अनुसार किया जाएगा।
Follow @JansamacharNews