नई दिल्ली, 06 अगस्त। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आज बांग्लादेश की स्थिति पर संसद के दोनों सदनों में दिए गए बयान में कहा कि वर्तमान में लगभग 19 हजार भारतीय नागरिक बांग्लादेश में हैं, जिनमें 9000 छात्र शामिल हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश में अशांति के बीच भारत अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में अपने नागरिकों के साथ निकट और निरंतर संपर्क में है।
उन्होंने कहा कि ढाका स्थित उच्चायोग की सलाह पर अधिकांश छात्र पिछले महीने ही भारत लौट आए थे।
डॉ. जयशंकर ने लोकसभा और राज्यसभा को सूचित किया कि अल्पसंख्यकों की स्थिति के संबंध में नई दिल्ली स्थिति की निगरानी कर रही है। उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समूहों और संगठनों द्वारा पहल की खबरें हैं।
उन्होंने कहा कि भारत इन पहलों का स्वागत करता है, लेकिन कानून और व्यवस्था स्पष्ट रूप से बहाल होने तक गहरी चिंता में रहेगा।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारतीय सीमा सुरक्षा बलों को भी इस जटिल स्थिति के मद्देनजर विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सुरक्षा प्रतिष्ठानों के नेताओं के साथ बैठक के बाद स्पष्ट रूप से अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने फिलहाल भारत आने की अनुमति मांगी थी और कल शाम दिल्ली पहुंच गईं। पिछले 24 घंटों में नई दिल्ली ढाका में अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में है।
विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में स्थिति अभी भी विकसित हो रही है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने कल राष्ट्र को संबोधित किया और जिम्मेदारी संभालने तथा अंतरिम सरकार के गठन की बात कही।
पड़ोसी देश में भारत की राजनयिक उपस्थिति के बारे में मंत्री ने बताया कि ढाका में उच्चायोग के अलावा चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में सहायक उच्चायोग हैं।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि मेजबान सरकार इन प्रतिष्ठानों के लिए आवश्यक सुरक्षा प्रदान करेगी और स्थिति स्थिर होने के बाद इनके सामान्य रूप से काम करने की उम्मीद है।
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