नई दिल्ली, 13 मई (जनसमा)। शुक्रवार को ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ द्वारा प्रकाशित एक खबर में बताया गया है कि कम्प्यूटर्स हैकर्स ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के सॉफ्टवेयर को चुराकर और उससे फायदा उठाकर दुनियाभर के दर्जनों देशों में साइबर हमले को अंजाम दिया है। हैकर्स ने कि ब्रिटेन के पब्लिक हेल्थ सिस्टम के साथ ही रूस के आंतरिक मंत्रालय के कम्प्यूटरों को भी नहीं बख्शा है।
रिपोर्ट के मुताबिक यह साइबर हमला डिजिटल युग की कमजोरियों को रेखांकित करता है जिससे वैश्विक ‘ब्लैकमेलिंग’ का प्रयास किया गया है।
साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक यह साइबर हमला ‘रैनसमवेयर’ नाम के मालवेयर कम्प्यूटर वायरस के जरिये किया गया है। ‘रैनसमवेयर’ वायरस की चपेट में आकर दुनियाभर के कम्प्यूटर प्रभावित हुए हैं। यह ‘रैनसमवेयर’ वायरस ईमेल के जरिये जॉब ऑफर, सिक्योरिटी वार्निंग्स, इनवायसस तथा अन्य संबंधित फाइलों की शक्ल में कम्प्यूटर तक पहुंच रहा है।
इस वायरस के कारण खराब या लॉक हुए कम्प्यूटरों को अनलॉक करने के लिए लगभग 300 डॉलरों की फिरौती मांगी जा रही है। सुरक्षा शोधकर्ताओं के अनुसार, वायरस के शिकार हुए कुछ लोगों ने ‘डिजिटल करेंसी बिटकॉइन’ के जरिये ब्लैकमेलर्स को भुगतान किया है लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि अब तक कितना भुगतान इन साइबर हमलावरों को किया गया है।
ऐसे समाचार हैं कि ‘रैनसमवेयर’ वायरस की चपेट में ब्रिटेन, अमेरिका, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत कई अन्य देश भी आए हैं। सुरक्षा शोधकर्ताओं के अनुसार बिटकॉइन मांगने के 36 हजार मामलों का पता चला है।
आपको बता दें कि ‘रैनसमवेयर’ वायरस कम्प्यूटरों को बर्बाद करने की धमकी देता है। धमकी में कहा जाता है कि यदि अपने कम्प्यूटरों को बचाना है तो इसकी कीमत चुकानी होगी। यह वायरस कम्प्यूटर में मौजूद फाइलों, वीडियो इत्यादि को करप्ट और लॉक कर देता है और फिरौती देने के बाद ही उनको खोला जा सकता है।
कुछ साइबर एक्सपर्ट के अनुसार, ऐसे वायरस से बचने के लिए अपने कम्प्यूटर में अच्छी कम्पनी का ‘एंटी वायरस’ डालें। जब भी अपने कम्प्यूटर में कोई नई डिवाइस या पेन ड्राइव आदि लगाएं तो उसे स्कैन करना न भूलें। साथ ही इंटरनेट से कुछ भी डाउनलोड करने से पहले उस साइट को जांच लें कि वह साइट रजिस्टर्ड है या नहीं। समय-सयम पर अपने कम्प्यूटर को फॉर्मेट भी करते रहें।
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