टाटा इस्पात संयंत्र के लिए 2008 में अधिग्रहीत की गई जमीन उद्योग स्थापित नहीं किये जाने के कारण किसानों को लौटाने का फैसला मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में किया गया।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में रायपुर में 25 दिसम्बर 2018 को मंत्रालय महानदी भवन में केबिनेट की बैठक आयोजित की गई।
बैठक में बस्तर जिले के लोहांडी गुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए लगभग एक दशक पहले किसानों की अधिग्रहित निजी जमीन उन्हें वापस करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया।
केबिनेट की बैठक के बाद मंत्री रविन्द्र चौबे और मोहम्मद अकबर ने इस फैसले की जानकारी दी।
चौबे ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है उन्होंने बताया कि दस गांवों के 1707 खातेदारों को उनकी लगभग 1784 हेक्टेयर निजी जमीन वापस करने का सैद्धांतिक निर्णय आज की बैठक में लिया गया है।
चौबे ने बताया कि वर्ष 2016 में कंपनी ने तत्कालीनराज्य सरकार को पत्र लिखकर वहां उद्योग लगाने में अपनी असमर्थता जताई।
मुख्य सचिव को इसके लिए एक माह के भीतर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सांसद राहुल गांधी ने लोहांडी गुड़ा क्षेत्र के किसानों से यह वादा किया था कि टाटा इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित उनकी जमीन उन्हें वापस की जाएगी।
जिन गांवों के किसानों की जमीन वापस करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया है, उनमें तहसील लोहांडीगुड़ा के अंतर्गत ग्राम छिंदगांव, कुम्हली, धुरागांव, बेलियापाल, बडांजी, दाबपाल, बड़ेपरोदा, बेलर और सिरिसगुड़ा में तथा तहसील तोकापाल केअंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा शामिल हैं।
टाटा इस्पात संयंत्र के लिए यह जमीन फरवरी 2008 और दिसम्बर 2008 में अधिग्रहित की गई थी, लेकिन कंपनी द्वारा वहां उद्योग की स्थापना नहीं की गई।
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