पटना, 4 सितंबर | बिहार के 12 जिलों में कहर बरपाने के बाद गंगा अब शांत होती नजर आ रही है। जलस्तर में काफी गिरावट आई है, लेकिन अभी भी चार लाख से ज्यादा बाढ़ पीड़ित राहत शिविरों में जिंदगी गुजारने को विवश हैं। लोगों को अब बीमारियों का डर सताने लगा है।
चिकित्सकों का भी मानना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों की आशंका बनी रहती है। वैसे, स्वास्थ्य विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग इन आंशकाओं के मद्देनजर तैयारी में जुट गए हैं।
पटना के जाने माने चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ़ रवि विक्रम सिंह ने आईएएनएस को बताया कि बाढ़ के दौरान जगह-जगह जमा पानी में बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जिस कारण सबसे पहले त्वचा संक्रमण जैसी बीमारी होती है। इसके बाद डायरिया व अन्य किस्म की बीमारियों का खतरा रहता है।
उन्होंने सलाह दी है कि लोग पानी को उबालकर पीएं और शरीर में आवश्यक खनिज तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए नारियल पानी या पैक पानी का उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “कई स्थानों पर लोग भूजल पर निर्भर होते हैं, वे जीवाणु संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए पानी में क्लोरीन मिला सकते हैं।”
सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ़ बी़ क़े सिंह के मुताबिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी उतरने के बाद बीमारियों की आशंका रहती है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में सफाई एवं स्वच्छता के अभाव से हैजा, दस्त फैलने और संक्रमण के विभिन्न प्रकारों के रोगों के फैलने की आशंका बढ़ जाती है। इस समय सुरक्षित और स्वच्छ पानी का सेवन किसी भी बीमारी से बचने के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा, “बाढ़ से उबरे क्षेत्रों में गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस, मलेरिया, टाइफाइड, डायरिया, परलिया, नेत्र और चर्म रोग की आशंका भी बनी रहती है।”
इधर, राज्य के कई क्षेत्रों से बाढ़ का पानी निकल गया है, जबकि कई क्षेत्रों से अभी पानी निकल रहा है। कई क्षेत्रों में लोगों ने सड़क को ही शौचालय बना लिया है, जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। पटना के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां लोगों को काफी दूर पानी व कीचड़ से होकर घर तक जाना पड़ता है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का दावा है कि राज्य में 80 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बलीचिंग पाउडर, बैमेक्सिन, चूना और जरूरी दवाएं स्टॉक की गई हैं। जरूरत पड़ने पर मुखिया के सहयोग से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को छिड़काव एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई सके।
आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव अनिरुद्ध कुमार बताते हैं कि बीमारियों की आंशका वाले क्षेत्रों में 291 से अधिक स्थायी एवं चलंत चिकित्सा शिविर स्थापित किया गया है, जहां 24 घंटे उपचार की सुविधा है।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, प्रभावित जिलों के पंचायतों में मुखिया के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई है, जिसमें एक डॉक्टर, दो एएनएम तथा अन्य कर्मचारियों को शामिल किया गया है। यह टीम संबंधित क्षेत्रों में बीमार मरीजों की पहचान एवं उपचार में मदद करेगी।
टीम को यह भी निर्देश दिया गया है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद किसी गांव में बीमारी से अधिक लोग पीड़ित हो रहे हैं, तो तत्काल इसकी सूचना सिविल सर्जन को दें, जिससे चिकित्सीय टीम वहां समय पर भेजी जा सके।
अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए 5,88,718 हैलोजन टैबलेट्स, 4,489 सांप काटने पर दी जाने वाली दवा एएसबीएस तथा 40,018 कुत्ता काटने पर दी जाने वाली दवा एआईवी स्टॉक किया गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 574 चिकित्सा दलों को तैनात रखा गया है। इसके अलावा 210 पशु शिविरों की भी स्थापना की गई है।
हाल में आई बाढ़ से राज्य के 12 जिलों के 2,173 गांवों की 41 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है।–आईएएनएस
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