नई दिल्ली, 27 फरवरी | दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार द्वारा सार्वजनिक भूमि पर बनाए गए 298 निजी स्कूलों को नर्सरी में केवल दूरी के आधार पर (नेबरहुड) पर बच्चों को दाखिला देने की अधिसूचना पर एकल न्यायाधीश द्वारा रोक लगाने के आदेश को चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने एकल न्यायाधीश द्वारा 14 फरवरी को दिए गए आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार की 7 जनवरी को जारी अधिसूचना को ‘मनमाना और भेदभावपूर्ण’ बताया था।
आम आदमी पार्टी सरकार ने पीठ के समक्ष दायर याचिका में कहा था कि यह आदेश ‘गलत और दोषपूर्ण’ है।
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में स्कूल से बच्चे के घर की दूरी को नर्सरी दाखिले के लिए प्राथमिक कसौटी बनाया गया था।
एकल न्यायाधीश ने सरकार द्वारा केवल दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जमीन पर बने 298 स्कूलों पर ही इस फैसले को लागू करने पर सवाल उठाया था।
इस अधिसूचना में स्कूल से एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले बच्चों को दाखिले में प्राथमिकता देने को कहा गया था। अगर सीटें खाली रह जाएं तो फिर तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले बच्चों को प्राथमिकता देने की बात थी।
सरकार की अधिसूचना के खिलाफ यह आदेश कुछ अभिभावकों और दो स्कूल निकायों, द एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकगनाइज्ड प्राइवेट स्कूल और फोरम ऑफ प्रमोशन ऑफ क्वालिटी एजुकेशन द्वारा दाखिल की गई याचिका पर जारी किया गया था। –आईएएनएस
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