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जीएसटी कानून एवं नियमों में बदलाव की मांग

जीएसटी एडवाइजरी ग्रुप की पहली मीटिंग 8 नवम्बर को नई दिल्ली में होरही है जिसमें जीएसटी कानून एवं नियमों में बदलाव किये जाने, जीएसटी को सरलीकृत कर प्रणालीबनाने आदि पर व्यापक रूप से विचार होगा !

इससे पहले जीएसटी से सम्बंधित व्यापारियों के मुद्दों को जानने और समझने एवं उनका स्वीकार्य समाधान निकालने की दृष्टि से मंगलवार को भाजपा के केंद्रीय कार्यालय, नई दिल्ली में एक जीएसटी दरबार का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों के व्यापारियों ने जीएसटी के विभिन्न विषयों पर अपनी समस्याएं रखी !

इस आयोजन में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू एवं कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री एवं जीएसटी कॉउन्सिल की लॉ कमेटी एडवाइजरी ग्रुप के सदस्य प्रवीन खंडेलवाल भी मौजूद थे !

इस बैठक में व्यापारियों ने कहा की 28 प्रतिशत के कर स्लैब पर दोबारा से विचार हो और हाउसिंग सेक्टर में प्रयुक्त होने वाले सामान जैसे बिल्डर हार्डवेयर, प्लाईवुड, बिजली फिटिंग, पेंट, फर्नीचर, ऑटो स्पेयर पार्ट्स, सौंदर्य प्रसाधन, विटामिन एवं मिनरल तथा प्रोटीन वाले उत्पाद आदि को इस स्लैब से निकालकर कम कर दर के स्लैब में रखना चाहिए और केवल विलासिता अथवा नेगेटिव वस्तुओं को ही इसमें रखा जाए !

व्यापारियों ने सुझाव दिया कि रिवर्स चार्ज महज एक औपचारिकता है और इसका राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा इसलिए इसको समाप्त किया जाना चाहिए!

ई वे बिल एक ही राज्य में भेजे जाने वाले सामान को छोड़कर केवल अंतर्राज्यीय व्यापार पर ही लागू हो!

100 करोड़ तक का कारोबार करने वाले को तिमाही रिटर्न दाखिल करने एवं 100 करोड़ से अधिक का कारोबार करने पर मासिक रिटर्न भरना तय किया जाए!

एचएसएन कोड केवल निर्माताओं पर ही लागू हो, व्यापारियों पर नहीं!

अगर विक्रेता कर नहीं जमा कराता है तो उसकी जिम्मेदारी खरीदने वाले पर न हो बल्कि सरकार कानून के मुताबिक उससे कर वसूल करे!

जीएसटी से सम्बंधित शिकयतों के समाधान के लिए एक निष्पक्ष जीएसटी लोकपाल गठित हो!

जीएसटी कॉउन्सिल में व्यापारियों को प्रतिनिधित्व दिया जाए तथा

केंद्र, राज्य एवं जिला स्तर पर संयुक्त जीएसटी कमेटी गठित हो जिसमें अधिकारी एवं व्यापारी शामिल हों,

मीटिंग में आये कपडा व्यापारियों ने कहा की कपडा देश का बड़ा व्यापार है और इस दृष्टि से कपडे के बुनकर, व्यापारियों, निर्माताओं, प्रोसेस हाउस और इस व्यापार से जुड़े अन्य वर्गों को जीएसटी से आ रही समस्याओं को दूर करना बेहद जरूरी है !

एक कपडा तैयार होने में लगभग 15 प्रकार की प्रोसेस प्रक्रिया होती है जिसे बहुत ही छोटे स्तर पर कारीगर करते हैं, इस दृष्टि से कपडे की प्रोसेस प्रक्रिया को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने से व्यापार की विसंगति दूर होगी और कपडे का व्यापार तेजी से बढ़ेगा और व्यापारियों को भी जीएसटी अपनाने में कोई परेशानी नहीं होगी !

नमकीन खाद्य वस्तुओं में ब्रांडेड पर 5 प्रतिशत और गैर ब्रांडेड को कर मुक्त करने से व्यापारियों में भ्रम तो है ही साथ ही एक विसंगति भी है, लिहाजा इस अंतर को समाप्त किये जाने की जरूरत है !

सभी प्रकार की नमकीन खाद्य वस्तुओं को कर मुक्त करना ही तर्कसंगत होगा !

व्यापारियों ने यह भी कहा की बेकरी उत्पाद खाखरा के समान ही है और आम लोगों के उपयोग की वस्तु है इसलिए इसको 18 प्रतिशत की कर दर से हटाकर 5 प्रतिशत में करने से बेकरी उत्पाद और तेजी से बढ़ेगा और सरकार को राजस्व भी भरपूर मिलेगा !

व्यापारियों ने कहा की उनके अप्रत्यक्ष कर के मामलों को कर अधिवक्ता और कर सलाहकार ही देखते आये हैं और जीएसटी के मामले में उनका ही वास्ता सबसे ज्यादा व्यापारियों से पड़ेगा ! इस बात को ध्यान में रखते हुए कर अधिवक्ताओं एवं कर सलाहकारों को जीएसटी में चार्टर्ड अकाउंटेंट के बराबर ही मान्यता मिलनी चाहिए और ऑडिट का अधिकार भी मिलना चाहिए ! इससे जहाँ व्यापारियों को सहूलियत होगी वहीँ दूसरी और कर प्रणाली भी मजबूत होगी !

व्यापारियों के मुताबिक जीएसटी का ढांचा और उससे जुडी टेक्निकल चीज़ें, जिसमें जीएसटी पोर्टल में कमियों के कारण जीएसटी को अपनाना बेहद मुश्किल हो रहा है, इस पर तुरंत ध्यान दने की जरूरत है !

वहीँ दूसरी और जीएसटी के प्रक्रिया की जानकारी का बेहद अभाव भी मुश्किलें पैदा कर रहा है ! इस को देखते हुए देश भर में एक व्यापक जागरूकता अभियान व्यापारी संगठनों के साथ मिलकर चलाया जाना बेहद जरूरी है !