संसद और विधान सभाओं जैसे वैधानिक मंचों पर राजनीतिक बहसों के गिरते स्तर को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने जनादेश की अवहेलना disregard कहा है।
हाल के वर्षों में राजनीतिक बहस political discourse के निचले स्तर पर पहुंचने पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने इस प्रवृति को जल्दी बदलने का आह्वान किया है।
हैदराबाद में आज हैदराबाद प्रबंधन संघ (एचएमए) के 46 वें वार्षिक पुरस्कार समारोह में बोलते हुए, उपराष्ट्रपति, ने संसद और राज्य विधानसभाओं में लगातार हो रहे व्यवधानों पर अपनी चिंता व्यक्त की।
नायडू ने दुखी लहेजे में कहा कि इस तरह के पवित्र और वैधानिक मंचों में व्यवधान उत्पन्न करना हमारे संविधान निर्माताओं की परिकल्पना की अवहेलना disregard करना है।
नायडू ने कहा “एक तरह से, यह भारत के संविधान की भावना के प्रतिनुकूल है। यह लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं की अनदेखी करने जैसा है। यह जनादेश की अवहेलना disregard है। यह लोकतंत्र के इन स्तंभों में लोगों के विश्वास के साथ विश्वासघात करने जैसा है । ”
नायडू ने कहा कि सार्वजनिक जीवन जीने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि वे केवल प्रतिद्वंद्वी हैं दुश्मन नहीं।
पूर्व राष्ट्रपति, प्रणव मुखर्जी हवाला देते हुए उन्होंने कहा “कोई भी निर्णय लेने के लिए बहस और चर्चा करें लेकिन व्यवधान पैदा न करें” संस्थानों के प्रभावी कामकाज के लिए यह सबसे अच्छा तरीका होना चाहिए।
विधायिकाओं में लगातार व्यवधान से जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने की मांग मजबूत होने की आशंका व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा “ मुझे डर है कि हम उसी दिशा में बढ़ रहे हैं”।
उन्होंने कहा कि विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों को तीन महीने के भीतर दलबदल निरोधक मामलों का फैसला करना करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि चुनाव याचिका और राजनीतिक नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों का उच्च न्यायालयों की विशेष पीठों द्वारा समयबद्ध तरीके से जल्दी निपटारा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश को भूख, गरीबी, अशिक्षा और बीमारी के खिलाफ अपनी अथक लड़ाई जारी रखनी चाहिए और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, रोजगार, बेहतर बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के माध्यम से आर्थिक विकास के लाभ को जनता की खुशहाली में बदलना चाहिए।
एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत विकास के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर घोटालों, और धोखाधड़ी की अनुमति नहीं दे सकता है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय धोखाधड़ी करने वाले भगोड़ों को विदेशों में सुरक्षित ठिकाने तलाशने से पहले ही कानून की गिरफ्त में लाया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार भी प्रदान किए। जिसमें तेलंगाना सरकार के प्रधान सचिव जयेश रंजन को दिया गया वर्ष -2018 के कुशल प्रबंधक का पुरस्कार भी शामिल था।
इस अवसर पर हैदराबाद प्रबंधन संघ के अध्यक्ष रवि कुमार पिसापति, संघ के सदस्य और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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