नई दिल्ली, 9 जनवरी | देश में नवंबर और दिसंबर में पैसे की कमी का प्रतिकूल प्रभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के संग्रह पर नहीं पड़ा है। अप्रैल से दिसंबर तक के कर संग्रह में दोहरे अंकों की वृद्धि देखी जा रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को यह बात कही।
जेटली ने यहां मीडिया से कहा, “चूंकि नवंबर-दिसंबर में नोटबंदी के प्रभाव को लेकर पर्याप्त बहस हो चुकी है इसलिए राजस्व के आंकड़े प्रासंगिक हो गए हैं। अप्रैल से दिसंबर तक के बीच की अवधि में प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले साल की तुलना में 12.01 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”
अप्रैल से दिसम्बर (2016) के बीच अप्रत्यक्ष कर आंकड़े में इसी अवधि में पिछले (2015) की तुलना में कुल 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
खासकर केंद्रीय उत्पाद कर में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। सेवा कर में वृद्धि 23.9 प्रतिशत और सीमाशुल्क संग्रह 4.1 प्रतिशत बढ़ा।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहली तीन तिमाही में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में प्र्याप्त वृद्धि हुई है।
जेटली ने कहा कि लोगों को पुराने नोट से कर भुगतान की छूट केवल नवंबर में दी गई थी इसलिए दिसंबर के कर संग्रह में बंद किए गए नोटों की कोई भूमिका नहीं है। दिसंबर में पुराने नोट से कर भुगतान की इजाजत नहीं थी।
जेटली ने कहा कि 99 प्रतिशत केंद्रीय कर भुगतान डिजिटल तरीके से किया गया।
नवंबर की तुलना में दिसंबर में अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 के दिसंबर की तुलना में इस वर्ष सीमा शुल्क संग्रह में 6.3 प्रतिशत की कमी आई क्योंकि इस अवधि में सोने का आयात बिल्कुल गिर गया।
वित्त मंत्री ने कहा, “हालांकि इसी अवधि के पिछले वित्त वर्ष की तुलना में निर्माण से संबंधित केंद्रीय उत्पाद कर में 31.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस माह सेवा कर में 12.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।” –आईएएनएस
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