डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1947 से 1950 तक भारत के पहले उद्योग मंत्री रहे और एक अर्थ में कहें तो उन्होंने भारत का औद्योगिक विकास का मज़बूत शिलान्यास किया था, मज़बूत बेस तैयार किया था, एक मज़बूत प्लेटफार्म तैयार किया था।
यह बात ‘मन की बात’ की 45वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कही।
मोदी ने कहा कि कल ही डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि थी 23, जून को। डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी कई क्षेत्रों से जुड़े रहे लेकिन जो क्षेत्र उनके सबसे करीब रहे वे थे शिक्षा,प्रशासन और संसदीय मामले। बहुत कम लोगों को पता होगा कि वे कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के वाइस चांसलर थे।
डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी की फोटो:भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन और फिल्म प्रभाग मंत्रालय द्वारा निर्मित वृत्तवित्र से साभार
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1948 में आई स्वतंत्र भारत की पहली औद्योगिक नीति उनके ideas और visions की छाप लेकर के आई थी। डॉ० मुखर्जी का सपना था भारत हर क्षेत्र में औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर हो, कुशल और समृद्ध हो।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ० मुखर्जी के बारे में जो खास बातें बताईं वे इसप्रकार हैंः
- वे चाहते थे कि भारत बड़े उद्योगों को develop करे और साथ ही MSMEs,हथकरघा, वस्त्र और कुटीर उद्योग पर भी पूरा ध्यान दे।
- कुटीर और लघु उद्योगों के समुचित विकास के लिए उन्हें finance और organization setup मिले, इसके लिए 1948 से 1950 के बीच All India Handicrafts Board, All India Handloom Board और Khadi & Village Industries Board की स्थापना की गई थी।
- डॉ० मुखर्जी का भारत के रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण पर भी विशेष ज़ोर था।
- Chittaranjan Locomotive Works Factory, Hindustan Aircraft Factory, सिंदरी का खाद कारखाना और दामोदर घाटी निगम, ये चार सबसे सफ़ल और बड़े projectsऔर दूसरे river valley projects की स्थापना में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान था।
- पश्चिम बंगाल के विकास को लेकर वे काफ़ी passionate थे। उनकी समझ, विवेक और सक्रियता का ही परिणाम है कि बंगाल का एक हिस्सा बचाया जा सका और वह आज भी भारत का हिस्सा है।