हरियाणा सरकार ने ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी दुर्घटना सहायता योजना’ के नाम से एक लाख रुपये की एक नई योजना लागू करने का निर्णय लिया है। यह योजना पूरी तरह से नि:शुल्क है और पात्र लाभार्थियों द्वारा इसके लिए किसी भी प्रकार के प्रीमियम का भुगतान नहीं किया जाएगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस संबंध में एक अधिसूचना जारी कर दी गई है। ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी दुर्घटना सहायता योजना’ एक दुर्घटना बीमा योजना होगी जिसके तहत दुर्घटना में मृत्यु और दुर्घटना के कारण विकलांगता होने पर एक लाख रुपये का बीमा कवर मिलेगा।
नई योजना के तहत कवरेज के दायरे में केवल वही हरियाणा निवासी और राज्य के मूल निवासी आएंगे जो कि नामांकन न होने या किसी अन्य कारण से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं। इस योजना के तहत 18 से 70 वर्ष के आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति पात्र होगा जो कि हरियाणा का निवासी या मूल निवासी है, बशर्ते कि वह दुर्घटना के समय प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत नामांकित न हो।
फोटो डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी , भाजपा वेबसाइट से साभार
इस योजना के तहत मृत्यु, रेल, सडक़ या हवाई दुर्घटनाओं, दंगों, हड़ताल और आतंकवाद जैसी दुर्घटनाओं के कारण स्थायी विकलांगता या विकलांगता, सांप के काटने, डूबने, विष, करंट लगने, ऊंचाई से गिरने, मकान या भवन के गिरने, अग्नि, विस्फोट, हत्या, जानवरों के हमले, भगदड़ और घुटन, पाला मारने, लू लगने, बिजली गिरने, जलने, भूख या भुखमरी (केवल मृत्यु) और प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु जैसे मामले कवर होंगे।
इस योजना में व्यावसायिक खतरों जैसे कि थ्रेशिंग मशीन या औद्योगिक मशीन या किसी अन्य अप्राकृतिक घटना के कारण मृत्यु या पूर्ण स्थायी विकलांगता या विकलांगता भी शामिल होंगी।
योजना के तहत युद्ध और इससे संबंधित खतरे, परमाणु जोखिम और जानबुझ कर स्वयं को चोट पहुंचाने, आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास, मादक पेय या मादक पदार्थों के कारण, यात्री के रूप में हवाई यात्रा के अलावा हवाई गतिविधियों में लिप्त होने तथा आपराधिक इरादे से किसी भी कानून का उल्लंघन करने के मामले शामिल नहीं होंगे।
इस योजना के तहत पीएमएसबीवाई के अंतर्गत स्वीकृत लाभ का 50 प्रतिशत लाभ मिलेगा। अर्थात दुर्घटना मृत्यु के लिए एक लाख रुपए और दुर्घटना के कारण दोनों आंखों की पूर्ण या रि-कवरेबल हानि या दोनों हाथों या पैरों की हानि या एक आँख की दृष्टि खोने या हाथ या पैर की हानि के मामले में एक लाख रुपए दिए जाएंगे।
विकलांगता के मामले में, लाभ का भुगतान दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को किया जाएगा जबकि मृत्यु के मामले में लाभ वरीयता के आधार पर जीवित पति या पत्नी (यदि पुनर्विवाह न किया हो), सभी अविवाहित बच्चों को बराबर हिस्सा, माता तथा पिता को दिया जाएगा।
इस योजना के तहत आवेदन करने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि दुर्घटना पीडि़त या पात्र संबंधी (मृत्यु के मामले में) द्वारा आवेदन उस जिले के जिला समाज कल्याण अधिकारी को किया जाएगा जहां दुर्घटना पीडि़त दुर्घटना के समय रहता था।
जिला समाज कल्याण अधिकारी उसके कार्यालय में दावा प्राप्त होने की तिथि से पांच कार्य दिवसों के भीतर दावे को उपायुक्त को भेजेगा।
उपायुक्त भी पांच कार्य दिवसों के भीतर दावे का फैसला करेगा क्योंकि उस जिले का उपायुक्त दावा स्वीकार करने के लिए सक्षम प्राधिकारी होगा।
उपायुक्त के निर्णय के खिलाफ सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के निदेशक को अपील की जा सकेगी। अपील दायर करने की समय सीमा उपायुक्त से रद्द होने की तिथि से तीन माह होगी। राशि का भुगतान सीधा पात्र दावेदार के बैंक खाते में किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि मृत्यु के मामले में, इस योजना के तहत जमा करवाए जाने वाले दस्तावेजों में दावा फार्म, हरियाणा डोमिसाइल सर्टिफिकेट और सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी राज्य में निवास का प्रमाण पत्र, दुर्घटना पीडि़त का आयु प्रमाण, दुर्घटना पीडि़त और पात्र रिश्तेदार (मृत्यु के मामले में) का आधार कार्ड, एफआईआर या पुलिस रोजनामचा रिपोर्ट, पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्र और यदि दावेदार जीवित पति या पत्नी है तो इस आशय का हलफनामा कि उसने पुनर्विवाह नहीं किया है, शामिल होंगे।
इसी तरह, विकलांगता के मामले में, जमा किए गए दस्तावेजों में दावा फार्म, हरियाणा डॉमिसाइल प्रमाण पत्र और सक्षम प्राधिकारी द्वारा राज्य में निवास का प्रमाण पत्र, आयु का प्रमाण, आधार कार्ड और विकलांगता की प्रतिशतता तथा उसके प्रकार की पुष्टिï करते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट तथा मेडिको-लीगल रिपोर्ट शामिल होंगी।
मृत्यु की तिथि के छह महीने बाद तथा विकलांगता की तिथि से 12 महीनों बाद जमा करवाए गए किसी भी दावे पर विचार नहीं किया जाएगा।
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