छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर के शास्त्री बाजार स्थित खादी भंडार(Khadi Bhandar) में बिक्री के लिए गोबर के गमले (Dung pots) उपलब्ध है।
गोबर के गमलों (Dung pots) में लगे फूल घरों की सुन्दरता को चार-चांद लगाने का काम करेंगे।
उल्लेखनीय है कि रायपुर के आरंग विकासखण्ड (Arang Development Block) के ग्राम बनचरौदा (Village Bancharouda) में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा गोबर के गमलों (Dung pots) का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे गौपालकों सहित महिला स्व-सहायता समूह (Women’s Self Help Group) की महिलाओं को आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है
उल्लेखनीय है कि गोबर के गमले (Dung pots) का उपयोग करने से नर्सरी में पौधे लगाने से प्लास्टिक का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होगी जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होगा।
गोबर के गमले (Dung pots) में मिट्टी भरकर पौधा लगाया जा सकता है और जब पौधे को जमीन में लगाना हो तो गमले के साथ ही मिट्टी में इसका रोपण किया जा सकता है।
गोबर के गमले (Dung pots) से पौधे को समस्त आवश्यक पोषक तत्व स्वतः प्राप्त हो जाते है। गोबर के गमलों के निर्माण से पशुपालकों के साथ-साथ महिला स्व-सहायता समूहों को भी रोजगार के साधन उपलब्ध हो पा रहे है।
गोबर का गमला (Dung pots) कीमत में भी काफी सस्ता होता है। साथ ही गमले में लगाये गए पौधों को गमले से ही पोषण (Nourish the plants) मिलता है।
गोबर के गमले (Dung pots) पर्यावरण (Environment) के अनुकूल है। गोबर के गमलों को बनाने में कोई प्रदूषण नहीं होता है। गोबर में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं, जिससे पौधों को पोषक तत्वों की पूर्ति गोबर के गमलों से ही पर्याप्त मात्रा में हो जाती है।
गोबर के गमले (Dung pots) सूखे गोबर एवं अन्य प्राकृतिक पदार्थों से बनाए जाते हैं। गोबर के गमले शुद्ध एवं पवित्र होते हैं। गोबर के गमले 9 माह तक अपने स्वरूप में सुरक्षित रहते हैं।
गोबर के गमले (Dung pots) वजन में हल्के, फफून्दरोधी व दीमकरोधी (एन्टी टर्माइट) है। पौधों की रोपाई करने के लिए यह सबसे अच्छा माध्यम है। गोबर के गमलों को सीधे जमीन में लगाया जा सकता है।
गोबर के गमलों को ढलाई के बाद 5 दिन तक सुखाया जाता है। इसे अन्य मिट्टी के गमलों की तरह पकाया नहीं जाता है।
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