नई दिल्ली, 29 अप्रैल (जनसमा)। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 135 किलोमीटर लम्बे पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के मौजूदा निर्माण कार्य का हवाई सर्वेक्षण किया। यह एक्सप्रेसवे कोंडली से शुरू होकर गाजियाबाद होते हुए पलवल तक बनाया जा रहा है। पूर्वी और पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु किसानों को कुल 7700 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया। इस हवाई सर्वेक्षण के दौरान गडकरी के साथ कई संवाददाता भी थे।
फोटो: नितिन गडकरी पलवल में 28 अप्रैल, 2017 को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए।
पलवल के निकट संवाददाताओं को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि एक्सप्रेसवे का लगभग 60 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वर्ष अगस्त तक एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। जब यह पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पूरा हो जाएगा, तो दोनों एक्सप्रेसवे आपस में मिलकर उन वाहनों को एक बाईपास सुलभ कराएंगे, जो दिल्ली जाने की बजाय उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे पड़ोसी राज्यों की ओर अग्रसर होंगे। इससे न केवल दिल्ली में भीडभाड़ कम हो जाएगी, बल्कि प्रदूषण भी लगभग 50 प्रतिशत घट जाएगा।
मंत्री ने यह भी बताया कि पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे देश का पहला हरित एक्सप्रेसवे होगा, जिसमें भूदृश्य निर्माण की बेहतरीन सुविधा होगी, लगभग 2.5 लाख पेड़ लगाए जांएगे और यह सौर ऊर्जा से पूरी तरह रोशन होगा। इस एक्सप्रेसवे पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर वर्षा जल के संचयन की सुविधाएं भी होंगी। इस एक्सप्रेसवे के किनारों पर पेट्रोल पम्प, मोटल, रेस्तरां इत्यादि की भी सुविधाएं होंगी।
पेरिफेरल एक्सप्रेसवे परियोजना में दो एक्सप्रेसवे हैं- पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (डब्ल्यूपीई) और पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई), जो दिल्ली के पश्चिमी एवं पूर्वी छोर से राष्ट्रीय राजमार्ग-1 और राष्ट्रीय राजमार्ग -2 को जोड़ते हैं। पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (डब्ल्यूपीई) और पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) की संयुक्त परियोजना दिल्ली के चारों ओर एक रिंग रोड का स्वरूप धारण कर रही है, जिसकी कुल लम्बाई 270 किलोमीटर है। लगभग 183 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेसवे हरियाणा राज्य से होकर गुजर रहा है, जबकि शेष 87 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश से होकर गुजर रहा है।
गडकरी ने कहा कि एक्सप्रेसवे नवीनतम एवं विश्वस्तरीय स्मार्ट प्रौद्योगिकी तथा सड़क सुरक्षा उपायों जैसे कि इंटेलीजेंट राजमार्ग यातायात प्रबंधन प्रणाली, वीडियो घटना पहचान प्रणाली एवं एक क्लोज्ड टोलिंग सिस्टम से युक्त होंगे, जिसके तहत उतना ही टोल वसूला जाएगा, जितनी दूरी तय की जाएगी।
एक्सप्रेसवे बेहतर सड़क संपर्क मुहैया कराते हुए किसानों, व्यापारियों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा पड़ोसी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों की जनता को लाभ पहुंचायेगा। इन परियोजनाओं से क्षेत्र के परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे को व्यापक बढ़ावा मिलेगा और यह त्वरित, ज्यादा कुशल और कम प्रदूषण फैलाने वाला बनेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।
इन परियोजनाओं से प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार के रोजगारों का सृजन होगा। ईपीई के निर्माण कार्य से 40 लाख मानव कार्य दिवसों के रोजगार का सृजन हुआ। 2100 इंजीनियरों और 5200 श्रमिकों को दैनिक रोजगार प्राप्त होगा। इसके अलावा हरित पट्टी बरकरार रखने के लिए स्थानीय आबादी को शामिल किया जाएगा। सड़क के किनारे की सुविधाएं स्थानीय उपज के लिए बाजार मुहैया कराएंगी।
राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि साजो-सामान की लागत में कमी लाने तथा अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए दक्ष और एकीकृत परिवहन प्रणाली आवश्यक है। उन्होंने बताया कि देश के अन्य भागों में भी 12 एक्सप्रेसवे बनाये जा रहे हैं, जिनमें दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-लुधियाना-अमृतसर-कटरा, मुंबई- वडोदरा, बेंगलूरू-चेन्नई, हैदराबाद-विजयवाड़ा-अमरावती, हैदराबाद- बेंगलूरू, नागपुर-हैदराबाद और अमरावती रिंग रोड एक्सप्रेसवे शामिल हैं।
गडकरी ने कहा कि सरकार 2,00,000 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। हम लगभग 57000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर 103933 किलोमीटर के आंकड़े तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति बहुत तेजी से बढ़ी है। इस साल 16000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का कार्य प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष के लिए कार्य का लक्ष्य 25000 किलोमीटर है। उन्होंने कहा कि निर्माण की दैनिक उपलब्धि में भी वृद्धि हुई है। यह उपलब्धि तीन वर्ष पहले लगभग दो किलोमीटर प्रतिदिन थी, जो वर्तमान में लगभग 22 किलोमीटर प्रतिदिन हो चुकी है।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष युद्धवीर सिंह मलिक भी उपस्थित थे।
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