नई दिल्ली, 9 सितंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि शिक्षा ऐसी हो, जिससे सबका कल्याण हो सके।
भागवत ने शनिवार को पुनरुत्थान विद्यापीठ द्वारा तैयार की गए पांच संदर्भ ग्रंथों का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का संबंध व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र तीनों से है। शिक्षा का आधार ही राष्ट्रीयता है। प्रत्येक राष्ट्र का स्वभाव उसे अपने जन्म के साथ ही प्राप्त होता है।
भागवत ने कहा, सभी शिक्षाविदों और आम आदमी का भी मत है कि परिवर्तन की आवश्यकता है। जो आदमी भूत के विचारों को छोड़कर जीता है, उसका भविष्य ठीक नहीं होता। लेकिन जो व्यक्ति भूत के विचारों को समझकर आगे बढ़ता है, उसका भविष्य अच्छा होता है।
पुनरुत्थान विद्यापीठ के कुलपति इंदुमति काटदरे ने कहा ग्रंथों के लेखन में विद्यापीठ की भूमिका वर्तमान शिक्षा को पश्चिमी प्रभाव से मुक्त कर भारतीय शिक्षा की पुर्नप्रतिष्ठा करने की है। इस योजना के चलते देश की शिक्षा भारतीय तो बनेगी ही, साथ में समूचा विश्व इससे लाभान्वित होगा।
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