प्रसिद्ध हिंदी लेखक और उपन्यासकार डॉ. गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal ) की बीते सोमवार को श्रीलंका (Sri Lanka) में एक सड़क दुर्घटना (Road accident) में मृत्यु (died) हो गई।
उनके साथ ही उनकी बेटी, पोती और एक स्थानीय ड्राइवर भी दुर्घटना में मारे गए।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निश्शंक (Ramesh Pokhariyal Nishshank) ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा कि विमल की मृत्यु साहित्य की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है और उनके लिए एक व्यक्तिगत क्षति है।
देश के कई राज्यों में हिन्दी के लेखकों और साहित्यकारों ने विमल को याद किया और कहा कि उनके निधन से हिंदी साहित्य की अपूरणीय क्षति हुई है।
केन्द्रीय साहित्य अकादमी ने एक शोक संदेश में कहा है कि साहित्य जगत को गंगा प्रसाद विमल की मृत्यु के कारण अपूरणीय क्षति हुई है।
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साहित्य अकादमी ने शोक संदेश में कहा कि कवि, कहानीकार, उपन्यासकार और अनुवादक गंगा प्रसाद विमल की श्रीलंका में सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
डॉ गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal) उन हिंदी लेखकों के अग्रणी थे जिन्होंने अकहानी आंदोलन शुरू किया था और साहित्यिक भावना को बहुआयामी रचनात्मकता प्रदान की थी।
गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal) का जन्म 3 जुलाई, 1939 को उत्तरकाशी में हुआ था। मिलनसार स्वभाव के सहृय लेखक के गंगा प्रसाद विमल ने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं जिनमें कविता संग्रह, लघु कहानी संग्रह और उपन्यास आदि हैं।
डॉ गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal) की शिक्षा उस्मानिया विश्वविद्यालय तथा पंजाब विश्वविद्यालय में हुई थी।
साहित्य मनीषी गंगा प्रसाद विमल (Ganga Prasad Vimal) एक कवि, कहानीकार, उपन्यासकार और अनुवादक थे।
वह केंद्रीय हिंदी संस्थान के दो बार अध्यक्ष भी रहे।
कोई भी ऐसा मित्र ,जो आपके सुख-दुख का साक्षी ही नही , उनमे लगातार शामिल रहा हो , जब चला जाता है तो बहुत ही दुखद होता है ।विमल मेरे ऐसे ही मित्र थे ।
मेरे दिल्ली में , वषों तक रहने के दौरान, लगभग हर संध्या को तो हम लोग साथ ही रहते । मेरे जयपुर लौटने के बाद भी, कभी विमल यहां आते रहे कभी में दिल्ली जाता रहा ।
दिल्ली मे , हर शाम हिंदुस्तान टाइम्स के कैफेटेरिया में , हम लोग वर्षों साथ बैठते रहे – मैं , गंगा प्रसाद विमल , कन्हैया लाल नंदन , बाल स्वरूप राही , शेर जंग गर्ग , हिमांशु जोशी , मनोहर श्याम जोशी ,रमानाथ अवस्थी और कमलेश्वर भाई । धर्मवीर भारती जब भी दिल्ली आते, वहां साथ होते ।
विमल हिंदी के प्रतिष्ठित कवि , कहानीकार और समालोचक रहे ।उनकी पुस्तकें ऑक्सफ़ोर्ड से प्रकाशित होती रही । वषों तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय मैं भारतीय भाषाओं के प्रोफेसर रहे ।
विमल! तुम बेतहाशा याद आते रहोगे मेरे भाई !!!