उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने प्रशासन में स्थानीय भाषा का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
नायडू ने यह भी कहा कि उच्च विद्यालय स्तर तक की पढ़ाई का माध्यम अनिवार्य रूप से स्थानीय भाषा को बनाया जाना चाहिए।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय 21 फरवरी, 2020 को देशभर में बड़े स्तर पर मातृभाषा दिवस (Matribhasha Divas) मना रहा है।
इसके तहत आज 20 फरवरी,2020 को नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस (Matribhasha Divas) समारोह के मुख्य कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू मुख्य अतिथि थे।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ इस अवसर पर सम्मानित अतिथि थे।
नायडू भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के महत्व को उजागर करते हुए 22 भाषाओं में बात की।
इस अवसर पर उन्होंने नागरिकों से मातृभाषा (Matribhasha ) को प्रोत्साहित करने की शपथ लेने और अन्य भाषाओं को भी सीखने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने भारतीय भाषाओं को बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन का आह्वाहन किया और कहा कि जब हम मातृभाषा का संरक्षण और संवर्धन करते हैं तो हम अपने भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का भी संरक्षण और संवर्धन करते हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रीरमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि मातृभाषा (Mother toungue) वह भाषा है जिसे कोई व्यक्ति बिना किसी प्रयास के सीखता है और इसके प्रति उस व्यक्ति का गहरा भावनात्मक लगाव होता है।
पोखरियाल ने कहा कि जहां हम इस बात पर गर्व करते हैं कि भारत में इतनी बड़ी संख्या में मातृभाषाएँ हैं वहीं दूसरी ओर भारत की 196 भाषाओं को यूनेस्को द्वारा जारी लुप्तप्राय भाषाओं की सूची में शामिल किया गया है जो चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि कुछ भाषाएं और बोलियां न केवल लुप्त होती जा रही हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं बल्कि दुख की बात यह है कि कई प्रमुख भाषाओं की हालत भी गंभीर है।
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