मनोज पाठक===
पटना, 22 अगस्त | गंगा नदी की उफनती धाराओं के कारण बिहार में गंगा से सटे सभी जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। गंगा ने पिछले कई साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बाढ़ विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा के जलग्रहण क्षेत्रों के अवरुद्घ होने के कारण तथा गंगा की तलहटी में गाद (सिल्ट) जमा होने के कारण भयावह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है।
बाढ़ विशेषज्ञ भगवान पाठक ने आईएएनएस से कहा कि गंगा के जलग्रहण क्षेत्र में लगातार अतिक्रमण हुआ है तथा उसके पेट में बालू जमा हो गया है।
उन्होंने कहा, “फरक्का बांध बंधने के पूर्व पानी के बहाव के साथ रेत बंगाल की खाड़ी में जाती थी, परंतु अब गंगा में गाद का जमाव बढ़ता चला गया। इस कारण नदी की गहराई घटती जा रही है और जो भी पानी आता है वह बाहर फैल जाता है।”
पाठक ने कहा, “यह स्थिति केवल गंगा की ही नहीं है, बिहार की सभी प्रमुख नदियों का हाल ऐसा ही है।” उन्होंने कहा कि इस वर्ष अन्य क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने के कारण गंगा में पानी था ही, इसके साथ ही सोन, घाघरा और पुनपुन का पानी भी आने से गंगा के जलस्तर में वृद्घि हो गई। उन्होंने कहा कि जो नदियां पीछे छूटेंगी उसका पानी इधर-उधर फैलेगा ही।
पाठक कहते हैं, “वर्ष 1975 में आई बाढ़ का भी प्रमुख कारण सोन और घाघरा नदी का जलस्तर था।” उन्होंने कहा कि गंगा के जलग्रहण क्षेत्र में अवैध निर्माण के कारण बाहर से भी मिट्टी लाई जाती रही है और उससे जलग्रहण क्षेत्र को अवरुद्घ किया जाता है।
बाढ़ मुक्ति अभियान से जुड़े दिनेश कुमार मिश्र ने आईएएनएस से कहा, “पटना को चारों तरफ से नदियां दबाती हैं और आज लोग नदियों को दबाने लगे हैं।” वह कहते हैं कि वर्ष 1975 में बाढ़ आने के बाद जनार्दन त्रिपाठी आयोग का गठन किया गया था। उसकी अनुशंसा के कई बिंदुओं पर सरकार ने अभी तक ध्यान नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, “शहर के नाले जो कथित रूप से गंगा में गिराए जाते हैं, वे पूरी तरह गंगा में नहीं गिरते, और पानी तो फैलेगा ही।”
उन्होंने फरक्का बांध को गंगा में बाढ़ का मूल कारण मानने से इंकार किया और कहा कि गंगा में बाढ़ आने के कई कारण हैं, जिसमें फरक्का भी एक बड़ा कारण है।
मिश्र ने कहा, “बांध का गेट बंद होते ही गंगा ठहर जाती है। गेट बंद होने पर उनाव (बैक वाटर) से गाद तेजी से नीचे बैठती है। यह गाद बाढ़ का एक कारण है।”
उल्लेखनीय है कि बिहार के कई जिले प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होते हैं, परंतु इस वर्ष जीवनदायिनी गंगा के रौद्र रूप से राजधानी पटना के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पटना के शहरी इलाकों में भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार, पटना के गांधी घाट में गंगा का जलस्तर 20 अगस्त को 50.38 मीटर पहुंच गया था, जबकि दीघा में यह स्तर 51.58 मीटर था। इस नदी का उच्चतम जलस्तर पटना में वर्ष 1994 में 50.27 मीटर था। –आईएएनएस
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