एक तरफ जहां वैज्ञानिक मानव के वीर्य की गुणवत्ता पर बहस कर रहे हैं, एक नए अध्ययन में पाया गया है कि आदमी के सबसे अच्छे दोस्त कुत्तों में तीन दशकों से पर्यावरण संक्रमण की वजह से प्रजनन क्षमता में कमी आई है।
ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा और विज्ञान स्कूल के प्रमुख शोधकर्ता रिचर्ड ली ने कहा, “यह पहली बार है कि नर कुत्तों के प्रजनन में पर्यावरण संक्रमण की वजह से गिरावट दर्ज की गई और हमारा मानना है कि ऐसा प्र्यावरण प्रदूषण की वजह से हुआ। हमने इसके कुछ लक्षण कुत्ते के भोजन, वीर्य और अंडकोष के परीक्षण में पाया है।”
ली ने कहा, “इस पर आगे शोध की जरूरत है जिससे कड़ी को समझा जा सके, वास्तव में कुत्ता मानव के लिए एक प्रहरी के तौर पर हो सकता है। दोनों एक ही वातावरण में रहते हैं और एक तरह की बीमारियां प्रदर्शित करता है और उपचार में भी एक ही तरह की आवृत्ति में प्रतिक्रिया देता है।”
यह शोध अकादमिक पत्रिका ‘साइंटिफिक रिपोर्ट’ में प्रकाशित हुई है। इसमें पाया गया है कि संवर्धित कुत्तों की आबादी में 26 सालों के दौरान वीर्य की गुणवत्ता में गिरावट आई है।
यह कार्य पांच विशेष प्रजातियों के कुत्तों लेब्राडोर, गोल्डन, घुंघराले कोट, बॉर्डर कोल्ली, जर्मन शेफर्ड पर केंद्रित है। इसमें हर साल 42 से 97 पर अध्ययन किया गया।
अध्ययन के लिए कुत्तों के वीर्य इकट्ठे किए गए थे और इनका विश्लेषण शुक्राणु की सामान्य गतिशीलता प्रक्रिया पर आधारित प्रतिशतता के आधार पर किया गया, जो सूक्ष्मदर्शी में (आकार) सामान्य प्रतीत हुए।
अध्ययन के 26 सालों से ज्यादा समय में उन्होंने पाया कि सामान्य गतिशील शुक्राणु के प्रतिशत में जबरदस्त गिरावट आई है।
साल 1988 से 1998 के बीच शुक्राणु गतिशीलता 2.5 प्रतिशत गिरी और शुक्राणु की गतिशीलता 2002 से 2014 के बीच लगातार 1.2 प्रतिशत हर साल गिरती रही।
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