शिमला, 11 अप्रैल । वन्य प्राणियों को मारने की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल सरकार शीघ्र ही राज्य वन्य प्राणी अपराध नियंत्रण इकाई की स्थापना करेगी, जो वन्य प्राणी के विरूद्ध अपराध रोकने में कारगर सिद्ध होगी। इकाई का प्रबन्धन पुलिस तथा वन विभागों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार राज्य में वन्य प्राणी संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है और यह गौरव व संतोष की बात है कि वन्य प्राणी संरक्षण में हिमाचल प्रदेश के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
मुख्यमंत्री सोमवार को यहां राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने अभयारण्यों तथा राष्ट्रीय पार्कों में जहां नई सड़कें बनाई जा रही हैं, वन्य प्राणियों के लिए अलग रास्ते का निर्माण किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बर्फानी तेंदुए का सरंक्षण करने वाला हिमाचल कश्मीर के बाद देश का सबसे बड़ा आवासीय क्षेत्र है। राज्य सरकार ने वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान राज्य में बर्फानी तेंदुओं के सर्वेक्षण के लिए मामला बैंगलौर की नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन (एनसीएफ) के समक्ष उठाया है और एनसीएफ ने परियोजना के अन्तर्गत स्पीति में पहले ही कार्य करना आरम्भ कर दिया है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि पर्यटन गतिविधियों के विकास के लिए कांगड़ा जिले में पौंग बांध रामसर स्थल में राज्य पर्यटन विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियों पर 8.85 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है और इसका विस्तारीकरण किया जा रहा है ताकि इस अन्तरराष्ट्रीय जलमयभूमि में और अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें।
मुख्यमंत्री ने निर्माणाधीन परियोजनाओं तथा विभिन्न गतिविधियों की उपयुक्त निगरानी सुनिश्चत बनाने के लिए राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की वर्ष में एक या दो बार बैठक आयोजित करने के भी निर्देश दिए।