‘आप सबको जानकार हर्ष होगा कि कर्नाटक राज्य के शिवमोगा जिले के मट्टूर गाँव के निवासी आज भी बातचीत के लिए संस्कृत भाषा का ही प्रयोग करते हैं।’
यह जानकारी ‘मन की बात’ की 47वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को दी और कहा कि रक्षाबन्धन के अलावा श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है। मैं उन सभी लोगों का अभिनन्दन करता हूँ, जो इस महान धरोहर को सह्ज़ने, सँवारने और जन सामान्य तक पहुँचाने में जुटे हुए हैं।
मोदी ने कहा ‘हर भाषा का अपना माहात्म्य होता है, भारत इस बात का गर्व करता है कि तमिल भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषा है और हम सभी भारतीय इस बात पर भी गर्व करते हैं कि वेदकाल से वर्तमान तक संस्कृत भाषा ने भी ज्ञान के प्रचार.प्रसार में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
प्रधान मंत्री मोदी ने अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में एक युवा श्रोत की संस्कृत भाषा में कही हुई बात को शामिल किया और कहा कि मैं बेटी चिन्मयी का बहुत बहुत आभारी हूँ कि उसने यह विषय उठाया।
मोदी ने कहा ” जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा ज्ञान का भण्डार संस्कृत भाषा और उसके साहित्य में है। चाहे वह विज्ञान हो या तंत्र ज्ञान हो, कृषि हो या स्वास्थ्य हो, astronomy हो या architecture हो, गणित हो या management हो, अर्थशास्त्र की बात हो या पर्यावरण की हो, कहते हैं कि global warming की चुनौतियों से निपटने के मत्रों का हमारे वेदों में विस्तार से उल्लेख है।”
प्रधान मंत्री ने कहा कि एक बात जानकर के आश्चर्य होगा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जिसमें अनंत शब्दों की निर्मिती संभव है। दो हज़ार धातु, 200 प्रत्यय, यानी suffix, 22 उपसर्गए यानी prefix और समास से अनगिनत शब्दों की रचना संभव है और इसलिए किसी भी सूक्ष्म से सूक्ष्म भाव या विषय कोaccurately describe किया जा सकता है।
मोदी ने कहा संस्कृत भाषा की एक विशेषता रही है, आज भी हम कभी अपनी बात को ताकतवर बनाने के लिए अंग्रेजी quotations का उपयोग करते हैं। कभी शेर-शायरी का उपयोग करते हैं लेकिन जो लोग संस्कृत सुभाषितों से परिचित हैं, उन्हें पता है कि बहुत ही कम शब्दों में इतना सटीक बयान संस्कृत सुभाषितों से होता है और दूसरा वो हमारी धरती से, हमारी परम्परा से जुड़े हुए होने के कारण समझना भी बहुत आसान होता है।
Follow @JansamacharNews